मां की मदद के लिए दिन में पढ़ाई और रात में फूल बेचते हैं ये मासूम, देखिए उनकी रुलाने वाली कहानी
आज पूरी दुनिया से गरीबी के बारे में मिलने वाली खबरें बेहद निराशाजनक हैं। गरीबी वह दलदल है जिससे बाहर निकालना काफी मुश्किल होता है। गरीबी की वजह से ही उन मासूम बच्चों को जिनकी हाथों में किताबें होनी चाहिए वो सड़क पर भीख मांगते नज़र आते हैं। कई बार गरीबी के कारण बच्चों को अपना बचपर छोड़कर जीवन यापन करने और अपने माता-पिता की मदद करने के लिए काम करना पड़ता है। हालांकि, फिलीपींस में गरीब मां की मदद के लिए बच्चों ने पढ़ाई नहीं छोड़ी बल्कि दिन में पढ़ाई की और रात में फुल विक्रेता बन गये।
गरीब मां की मदद के लिए बच्चों ने किया ये काम
इन दोनों बच्चों की कहानी बिते साल दिसंबर में सोशल मीडिया के जरिए लोगों के सामने आई। सोशल मीडिया के मुताबिक, अपनी गरीब मां की मदद के लिए बच्चों ने पढ़ाई के साथ साथ चमेली का फूल बेचने का कार्य शुरु किया। आपको बता दें कि चमेली के इस फूल को फिलिपिन जैसमिन या अरेबियन जैसमिन भी कहा जाता है। सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही इस कहानी के मुताबिक, 11 वर्षीय मार्लोन और उसके 9 वर्षीय भाई मेल्विन मेंडोज़ा फिलीपींस के क्यूज़न शहर में एक फुटपाथ पर चमेली का फूल बेचकर अपना गुजारा करते हैं।
खबर के मुताबिक, अपनी 37 वर्षीय गरीब मां रोशेल की मदद के लिए बच्चों ने पढ़ाई न छोड़ने का फैसला करते हुए फूल बेचने का रास्ता अपनाया। आपको बता दें कि ये बच्चे अपने पिता के अवैध तरीके से नशीली दवाओं की बिक्री के आरोप में जेल जाने के बाद ये काम करने को मजबुर हैं। आपको बता दें कि सैम्पाग्वीटा यानि चमेली का फूल फिलीपींस का राष्ट्रीय फूल है इसी वजह से इसकी डिमांड यहां ज्यादा रहती है। यही वजह है कि गरीब मां की मदद के लिए बच्चों ने चमेली का फूल बेचने का काम शुरु किया है।
इन बच्चों को देर रात तक फूल बेचने का कार्य बच्चों को अपने स्कूल ड्रेस में ही करना पड़ता है। इन बच्चों की मां रोशेल के मुताबिक, उन्होंने एक बार बच्चों के साथ चलने और उनकी मदद करने के लिए कहा। लेकिन, वो खुद ही ये काम करना चाहते थे। गरीब मां की मदद के लिए बच्चों द्वारा इस तरफ अपनी पढ़ाई के साथ साथ काम करने की कहानी वायरल होने के बाद सामाजिक कल्याण और विकास विभाग ने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें पुल के नीचे से एक आश्रम में रखने की बात कही। हालांकि, रोशेल ने इस मदद को लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही थी।