नई दिल्ली – ये बात तो हम सभी को मालूम है कि दवाईयों में कई प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाईयाँ इतनी कड़वी होती हैं कि हम में से कई लोग लाख बिमार होने के बावजूद भी दवा खाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी चीज बताने जा रहे हैं जिससे आपको कैप्सूल खाने से नफरत हो जायेगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा किस चीज से बना होता है। अमूमन ज्यादातर लोग ये सोचते हैं कि कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा प्लास्टिक से बना होता है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा जिस चीज से बना होता हो वो जानकर आपमें से कई लोग आज ही कैप्सूल खाना ही छोड़ देंगे।
कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा किस चीज से बनता है (which material is used for making capsules)
दरअसल, आपने अगर कभी ये जानने कि कोशिश की होगी की कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा किस चीज से बना होता है, तो आप इसमें नाकाम रहे होंगे। क्योंकि, ज्यादातर दवा निर्माता दवा के लेबल पर स्पष्ट रूप से नहीं बताते हैं कि कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा जिलेटिन बनाने के लिए जिलेटिन उपयोग किया जाता है। जिलेटिन एक पशु उत्पाद (गैर-शाकाहारी) है और यह कोलेजन से निर्मित होता है। यह एक रेशेदार पदार्थ होता है जो गायों और भैंसों जैसे जानवरों की हड्डियों, उपास्थि और कण्डरा में पाये जाते हैं। जिलेटिन का एक अन्य उपयोग जेली बनाने में होता है। हालांकि कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
यह बात देश के ज्यादातर लोगों के सामने उस वक्त आई जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने “जिलेटिन से बने कैप्सूल की जगह पौधों से बने कैप्सूल” बनाने के लिए विशेषज्ञों की एक कमिटी का गठन किया। इस कमिटी का गठन बिते साल मार्च में किया गया था। इस कमेटी का गठन केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को “जिलेटिन कैप्सूल” की जगह पौधों से बने कैप्सूल के इस्तेमाल के सुझाव के बाद किया गया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्तमान में करीब 98 प्रतिशत दवा कंपनियां पशुओं के उत्पादों से बनने वाले जिलेटिन कैप्सूल का इस्तेमाल कर रही हैं। आपको बता दें कि जिलेटिन को पशुओं के ऊतक, हड्डियां और त्वचा को उबालकर निकाला जाता है। यह देश के शाकाहारी लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने वाला है। इस संबंध में मेनका गांधी ने कहा था कि जिलेटिन कैप्सूल का इस्तेमाल देश के लाखों शाकाहारियों लोगों की भावनाओं को आहत पहुंचाने वाला है।
इस संबंध में आवाज उठाते हुए मेनका गांधी ने ये भी कहा था कि बहुत से लोग केवल इस वजह से जिनेटिक से बनी दवाईयों का सेवन नहीं करते हैं। कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा जानवरों की हड्डियों और कुछ दूसरी चीज़ों से बना होता है। जबकि इसके विकल्प के रुप में सेल्यूलोज़ के इस्तेमाल की बात कही जा रही है, जो पेड़ों की छालों से निकाले रस और दूसरे केमिकल्स से बना होता है। इसलिए केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने इस बात की सिफारिश की है कि कैप्सुल्स के खोल यानि कैप्सूल के ऊपरी हिस्से को बनाने के लिए जिलेटिन की जगह सेल्यूलोज़ का इस्तेमाल किया जाए। इस बारे में जैन धर्म के अनुयायियों ने भी स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के सामने अपनी बात रखी थी।