पिता-बेटे की ये जोड़ी मिसाल बन गई सबके लिए, पिता करता है मजदूरी और बेटा है गूगल में इंजीनियर
इंसान में जब कुछ कर दिखाने की चाह होती है तब वह क्या कुछ नहीं कर जाता. आत्मविश्वास और जज्बा होने पर वह मुश्किल से मुश्किल काम आसानी से कर सकता है. भारत में मजदूरी करने वाला हर इंसान गरीब नहीं होता. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गरीब तो नहीं होते लेकिन काम मजदूरों वाला करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही पिता बेटे की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाएंगे. पिता बेटे की यह जोड़ी लोगों के लिए मिसाल बन रही है. उनकी कहानी सुनकर लोग उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.
दरअसल, राम सिएटल में गूगल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पद पर काम करता है. वहीं, उसके पिता तेजाराम राजस्थान के सोजत शहर में मजदूरी करते हैं. बता दें कि राम के पिता किसी मजबूरी में मजदूरी नहीं करते बल्कि यह काम वह अपनी खुशी से करते हैं. मजदूरी का काम करके उन्हें खुशी मिलती है. वह जयपुर से 262 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम शहर सोजत में रहकर मजदूरी करते हैं. राम के पिता लोडिंग ट्रकों में सामान लादने का काम करते हैं और इस काम से वह रोजाना 100 रुपये से लेकर 400 तक की कमाई कर लेते हैं.
राम की मां रानी देवी उस समय तक मजदूरी करती रही जब तक उसके बेटे की नौकरी नहीं लग गई. बेटे की नौकरी गूगल में लगने पर उन्होंने मजदूरी करनी छोड़ दी. अब वह घर पर रहकर घर की और 1.5 एकड़ खेत की देखभाल करती हैं. राम की सैलरी से अब घर का खर्चा आराम से निकल जाता है. वह अपने बड़े बेटे राम पर बहुत गर्व महसूस करती हैं. राम के पिता ने बताया कि बचपन से ही राम पढ़ाई में अच्छा था. उन्हें पता था कि बड़ा होकर राम परिवार की किस्मत बदलने वाला है. राम के पिता चाहें तो मजदूरी छोड़ सकते हैं. राम की सैलरी उनका घर चलाने के लिए काफी है. लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहते. उनका कहना है कि उन्होंने पूरी जिंदगी काम किया है और उनकी घर पर बैठने की आदत नहीं है. काम नहीं करने पर उन्हें अच्छा नहीं लगता.
साल 2009 में राम को IIT में कोटा से दाखिला मिला था. राम की काउंसलिंग और पहले सेमेस्टर की फीस सोजत के किसी परिवार ने दिए थे. राम ने बताया कि उस फैमिली ने ही राम को कॉलेज में पहनने के लिए कपड़े और सूटकेस खरीद कर दिया था. बाद में उसके समुदाय के लोगों ने पैसा जमा करके राम को लैपटॉप खरीद कर दिया. उसके बाद दूसरे सेमेस्टर की फीस उसके पिता ने लोन लेकर चुकाई. बाकी की पढ़ाई के लिए राम ने दूसरे साल में एजुकेशन लोन ले लिया. राम को स्कॉलरशिप के तौर पर तीन साल तक हर सेमेस्टर 30,000 रुपये मिलते थे. उसने उसी स्कॉलरशिप से मिले 70000 रुपयों से घर का किचन बनवाया.
बता दें कि राम का एक छोटा भाई और बहन भी हैं. भाई का नाम विकास है. 8वीं कक्षा में 3 बार फेल होने के बाद छोटे भाई ने पढ़ाई छोड़ दी थी. अब वह पुणे में रहकर एक जूते के दुकान में काम करता है. वहीं, बहन B.Sc में फेल होने के बाद घर में रहकर मां का हाथ बंटाती है. राम ने कहा कि वह तब तक नौकरी करेगा जब तक उसका परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित न हो जाए.