अध्यात्म

जानिये रामायण से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, पढ़िए 3 मजेदार रामायण कथा

रामायण कथा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. रामायण कथा की किताब लगभग हर हिंदू घर में मिलती है. रामायण में हर एक किरदारों का अपना एक अलग महत्व है. रामायण के बारे में ज़्यादातर लोगों को टीवी, सीरियल या राम-लीला देखकर ही जानकारी मिली है. बहुत लोग किताब पढ़कर भी रामायण में निपुण हुए हैं. टीवी पर आने वाली रामायण रामानंद सागर की बहुत प्रसिद्ध हुई थी. रामायण रामानंद सागर जब टीवी पर आया करता था तब सारे परिवार के लोग इकठ्ठा होकर इसका आनंद लिया करते थे. रामचरितमानस में कुल 7 कांड वर्णित है. आज हम आपके लिए कुछ रामायण कथा लेकर आये हैं. हमें यकीन है कि ये रामायण कथा (कहानी) आप सभी को पसंद आएगी.

रामायण कथा (ramayan katha)

कुश की उत्पत्ति

रामायण कथा (ramayan katha)  : के अनुसार वनवास काटने के बाद माता सीता कुछ दिन अयोध्या में रहकर बाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रहने लगीं. वहां उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम लव रखा. लव के जन्म के बाद माता सीता का अधिकतर समय लव की देखरेख में गुजरने लगा. एक दिन सीता जी नहाने के लिए आश्रम से बाहर जा रही थीं लेकिन उन्हें यह चिंता सता रही थी कि साथ में वह लव को कैसे लेकर जाएं. उन्होंने बाल्मीकि जी को लव का ध्यान रखने के लिए कहा. लेकिन सीता जी ने देखा कि ऋषि मुनि बाल्मीकि अपने ही कार्य में व्यस्त हैं और लव की तरफ ध्यान नहीं दे रहे तो वह लव को अपने साथ ले गईं. महर्षि बाल्मीकि इस बात से अनजान थे. बाद में जब वह लव को ढूंढने लगे तो उन्हें लव नहीं मिले. इसलिए बाल्मीकि जी ने आश्रम का एक घास लिया और उसे अपनी मंत्र-जाप और शक्ति से एक नया लव बना दिया. उन्होंने सोचा जब माता सीता वापस आएंगी तब वह उन्हें यही लव सौंप देंगे और कुछ नहीं बताएंगे. लेकिन जब माता सीता वापस आश्रम आयीं तो बाल्मीकि जी उनके साथ लव को देखकर हैरान रह गए. पूछने पर पता चला कि वह अपने साथ ही लव को ले गई थीं. लेकिन सीता जी बाल्मीकि जी के साथ खड़े लव को देखकर भी खुश हो गई थीं. क्योंकि दूसरे लव का जन्म कुश यानी घास से हुआ था इसलिए बाद में उनका नाम कुश रख दिया गया और वह माता सीता की दूसरी संतान के रूप में जाने जाने लगे.

लक्ष्मण की मृत्यु

रामायण कथा (ramayan katha)  : क्या आप जानते हैं कि लक्षमण जी की मृत्यु कैसे हुई थी? यदि नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं. दरअसल, लक्षण जी को मृत्यु दंड भगवान श्री राम ने दिया था. हुआ यूं की एक बार यमराज जी भगवान श्री राम से कुछ महत्वपूर्ण बात करने आये. उन्होंने श्री राम से वचन लिया कि उनकी ये बात कोई न सुने और किसी ने बात करते हुए देखा तो उसे मृत्यु दंड मिले. उनकी बातचीत के दौरान लक्ष्मण जी अंदर आ गए और उनकी सारी बातें सुन ली. इसके बाद भगवान राम को अपना वचन निभाते हुए लक्षण जी को मृत्यु दंड देना पड़ा.

हनुमान जी का बजरंग बली नाम पड़ना

रामायण कथा (ramayan katha)  : जैसा कि हम सभी जानते हैं हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त थे. पर क्या आपको ये पता है कि हनुमान जी को बजरंग बली क्यों कहा जाता है? नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं. एक बार हनुमान जी ने देखा की माता सीता सिंदूर लगा रही हैं. यह देखकर हनुमान जी ने माता सीता से सिंदूर लगाने का कारण पूछा. पूछने पर माता ने बताया कि वह भगवान श्री राम की लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती हैं. यह सुनकर हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया और तभी से उनका नाम बजरंग बली पड़ गया. हिंदी में बजरंग का मतलब ‘सिंदूर’ होता है.

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