अध्यात्म

दो नहीं बल्कि एक पुत्र को माता सीता ने दिया था जन्म, जानिए लव कुश कांड की पूरी कहानी

क्या जानते है आप लव और कुश की क्या थी राजधानी और कहाँ हुआ उनका जन्म...

लव कुश कांड: रामचरितमानस में कुल 7 कांड वर्णित हैं. जैसे सुंदर कांड, बाल कांड, अयोध्या कांड, लंका कांड आदि. इन सब कांडों में भगवान राम के जन्म से लेकर वनवास तक की कहानी विस्तार से बताई गई है. इन सभी कांडों के बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी है. लेकिन आज हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे हैं वह है लव कुश कांड. जी हां, लव कुश रामायण में तो जिक्र नहीं है. लेकिन बाकियों की तरह लव कुश का अध्याय भी उतना ही महत्वपूर्ण है. आज इस आर्टिकल में हम आपको लव कुश कांड बताने जा रहे हैं. हम आपको बताएंगे कि लव कुश कौन थे और उनका जन्म कैसे हुआ था. तो आईये जानते हैं लव कुश रामायण कहानी.

लव कुश कांड

लव कुश कांड | लव कुश रामायण | Luv Kush Kand | Love Kush Ramayan

 

रामायण का ज़िक्र आते ही माता सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की छवि आँखों के सामने दिखाई पड़ने लगती है। जी हाँ रामायण एक ऐसा अध्याय है जो हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का पाठ पढ़ाता है। रामायण को साथ कांडो में विभक्त किया गया है, जिनका हमारी संस्कृति के उत्थान में विशेष योगदान है। यह तो हम सभी को ज्ञात है कि रामायण को सात कांडो यानि बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और लव-कुश कांड (उत्तर कांड) में विभाजित किया गया है। जैसे ही बात रामायण में उत्तर कांड (Luv kush kand) की आती है, बहस का विषय यही से शुरू हो जाता है।

पहली बात तो उत्तर कांड (Uttar Kand) को लव कुश कांड की संज्ञा देना ही उचित नहीं ठहराया जा सकता है। वैसे बात रामायण की हो रही, यानि श्रीराम की हो रही फ़िर कुछ न कुछ बातें तो उठेगी, क्योंकि भारत का इतिहास क्रमश: मुगलों, अंग्रेजों, ईसाई मिशनरियों, धर्मांतरित लोगों और वामपंथियों द्वारा विकृत किया गया है। ऐसे में सभी ने अपने-अपने हित के लिए भारत की प्राचीनता और गौरव के साथ छेड़छाड़ की। यहां के धर्म को विरोधा‍भाषी बनाया और अंतत: छोड़ दिया। ऐसे ही लव और कुश को लेकर भी कई किवदंतियों को प्रचारित और प्रसारित किया गया है। जिसकी वजह से कुछ लोग सीता माता के एक पुत्र होने की बात करते है, तो वही कुछ लोग दो पुत्र यानि लव और कुश नामक जुड़ा बालक के जन्म की बात कहते है।

लव-कुश कांड (उत्तर कांड) – Luv Kush Kand, Uttar Ramayan

जिस प्रकार राम के भगवान होने पर मतैक्य हमारे देश में नजर आता, ऐसे ही लव और कुश के जन्म को लेकर भी। वैसे गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित्र मानस में कहा है कि, “हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥ रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥” इसका भावार्थ यह है कि, “हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।” जी हाँ ऐसे ही कुछ मतांतर लव-कुश के जन्म को लेकर भी है।

luv kush kaand

लव और कुश के जन्म की बात करें तो कुछ लोगो की मान्यता है, कि सीता जी ने एक साथ जुड़वाँ बालक को जन्म दिया था। वही एक अन्य कहानी कहती है कि माता सीता ने सिर्फ लव को जन्म दिया था, जबकि कुश को महर्षि बाल्मीकि ने अपनी शक्ति से उत्पन्न किया था। बता दें कि बात अब महर्षि बाल्मीकि की चली है तो कि महर्षि बाल्मीकि एक प्राचीन भारतीय महर्षि हैं। ये आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। इनके द्वारा रचित रामायण को सबसे सटीक माना गया है। बाकि रामायण की कथा के कई सारे संस्करण उपलब्ध हैं, लेकिन उस काल का सही वर्णन सिर्फ महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची गई बाल्मीकि रामायण में ही मिलता है।

बता दें कि सीता जी द्वारा संतान को जन्म देने की घटना से संबंधित कई कहानियां प्रचलित हैं। लोक कथाओं के अनुसार तो सीता जी ने एक साथ दो बालकों को जन्म दिया था। लेकिन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची रामायण में इसका उल्लेख नहीं मिलता। ना ही इस बात को कोई प्रमाण दिया जाता है। हाँ एक किवदंती भले यह है कि एक दिन सीता जी कुछ आवश्यक लकड़ियां लाने के लिए आश्रम से बाहर के पास स्थित जंगल जा रही थीं (एक अन्य कथा के अनुसार नहाने के लिए नदी तक जा रही थीं), लेकिन उन्हें यह चिंता थी कि वे लव को कैसे लेकर जाएं।

ऐसे में निकलते हुए सीता माता ने बाल्मीकि जी लव को देखने की बात कही और उस दौरान महर्षि किसी काम में व्यस्त थे तो उन्होंने सिर्फ़ सिर हिलाते हुए जवाब दे दिया, लेकिन जाते वक्त जब सीता जी ने देखा कि महर्षि का ध्यान तो सिर्फ काम पर लगा हुआ है तो वह लव को साथ ले जाने के लिए राजी हो गई। यह बात बाल्मीकि जी को पता नहीं चली। ऐसे में जब कुछ देर बाद महर्षि ने इधर-उधर देखा तो उन्हें लव दिखाई नहीं दिया और उन्हें यह भय हुआ कि हो ना हो लव कहीं चला गया होगा और किसी जानवर का शिकार हो गया होगा।

luv kush kaand

कुश का जन्म (Luv kush kaand)

अब महर्षि बाल्मीकि के मन में तरह तरह के सवाल उमड़ने लगें, कि सीता जी को वापस आश्रम लौटने पर क्या जवाब देंगे, सीता विलाप करने लगेगी, इसी डर के कारण वाल्मीकि जी ने पास में पड़े कुशा (घास) को लिया और कुछ मंत्र पढ़ने के बाद एक ‘नया लव’ बना दिया। यह लव हूबहू पहले जैसे लव की तरह ही था, अब उन्होंने सोचा कि सीता के वापस लौटने पर वो उसे यही लव सौंप देंगे और कुछ नहीं बताएंगे, लेकिन कुछ समय के पश्चात जब सीता आश्रम लौटीं तो उन्हें देख महर्षि चकित रह गए। उनके पास लव को पहले से ही देख वे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। पूछने पर मालूम हुआ कि सीता जी लव को अपने साथ ही ले गई थीं। इस तरह कुश के जन्म की बात सामने आती है। वैसे सिर्फ़ इन दो भाइयों के जन्म को लेकर ही मतैक्य नहीं है बल्कि लव-कुश के जन्मस्थान को लेकर भी कई किवदंतियां है।

पहली किवदंती के मुताबिक लव और कुश का जन्म कानपुर शहर से 17 किलोमीटर दूर बिठूर में बने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ था । लव-कुश की जन्म स्थली कही जाने वाले बिठूर में हर दिन हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए आज भी आते हैं। केवल शहर के ही नहीं, बल्कि कानपुर आने वाले सैलानी भी भगवान राम से जुड़ी इस स्थली के मोह से दूर नहीं हो पाते हैं। सीता रसोई, वाल्मीकि आश्रम आदि के अस्तित्व आज भी यहां विराजमान हैं। यहां माता सीता का एक मंदिर भी है। मंदिर में माता सीता की प्रतिमा अपने पुत्र लव और कुश के साथ है। एक मिडिया रिपोर्ट में मंदिर के पुजारी अवधेश तिवारी के हवाले से यह बताया गया है कि, “आठ लाख साल पहले माता सीता बिठूर आईं थी और यहीं पर लव-कुश का जन्म हुआ था। लव-कुश ने इसी स्थान पर बाल्मीकि से शिक्षा भी प्राप्त की थी।”

लव कुश कांड

वही एक अन्य किवदंती के अनुसार लव-कुश का जन्म हिडन नदी के पास स्थित बाल्मीकि के आश्रम में हुई थी। यह आश्रम आज के समय में बागपत से करीब 23 किलोमीटर दूर बलैनी गांव के पास स्थित है। ऐसे में एक बात तो है कि न सिर्फ लव और कुश के जन्म को लेकर मतांतर है, बल्कि उनके जन्म स्थान को लेकर भी मतैक्य है।

जो कुछ भी हो, लेकिन लव- कुश दोनों भाई थे। जो काफ़ी पराक्रमी थे। कालिदास के रघुवंश के अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसल को राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था। इतना ही नहीं यह माना जाता है कि कुश ने नागकन्या कुमुदावती से विवाह किया और अथिथि के पिता बने। एक अन्य जानकारी के अनुसार, लव-कुश के 50 वीं पीढ़ी में शल्य का जन्म हुआ, जो महाभारत काल में कौरवों की तरफ से युद्ध में शामिल हुए थे। वही माना जाता है लव के पुत्र सरूक्मान थे।

लव कुश कांड

इसके आलावा बात करें तो राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला। बता दें कि एक शोध अनुसार लव और कुश की 50 वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। ऐसे में कह सकते कि लव और कुश महाभारत काल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे।

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