इस 4 साल की मासूम ने शिक्षा जगत में ला दी क्रांति, कारनामा सुन कर दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे
नई दिल्ली: इस दुनिया में कोई भी इंसान सर्व गुण संपन्न या परफेक्ट नहीं है. हर इंसान के अंदर कोई ना कोई खामी जरुर होती ही है. कोई पढाई में जीरो होता है तो कोई सिंगिंग में, कोई एक्टिंग में जीरो होता है तो कोई कला में. भगवान ने जब इंसान को बनाया तो उसमे एक ना एक कमी जरुर रखी ताकि वह इंसान जरूरत के समय भगवान को याद रखे और उसका नाम अपना जीवन बना ले. अक्सर आपने अपाहिज व्यक्ति की कठिनायों को महसूस किया होगा. ठीक वैसे ही कुछ लोगों को भगवान ने काम करने की शक्ति उनके बाएं हाथ में दी है.
साधारण इंसान दाएं हाथ से काम करता है जिसमे उसको किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता. मगर जिन लोगों को बाएं हाथ से काम करना पड़ता है, उन्हें कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. आज हम आपको एक ऐसी ही बच्ची से मिलवाने जा रहे हैं, जिसका दाहिना हाथ उसकी कमजोरी बनने की बजाए उसकी ताकत बन गया. दरअसल, किंडरगार्टन में रहने वाली 4 वर्षीय ईशा को बचपन से ही उसका बाया हाथ कमजोरी लगता था. मगर उसकी यही कमजोरी उसके माँ बाप का नाम रोशन कर देगी, ऐसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था.
आपको हम बता दें कि मुंबई के थाने की रहने वाली श्वेता सिंह की बेटी ईशा बाएँ हाथ से काम करती थी. एक रिपोर्ट के अनुसार श्वेता सिंह ने बताया कि उसकी बच्ची आम इंसानों की तरह शार्पनर से पेंसिल नहीं चला सकती थी. इस बात को ईशा ने दिल पर ले लिया और संघर्ष करने की ठान ली ताकि आगे चल कर उसे किसी चीज को लेकर दिक्कत ना आए. अक्सर लोग अपनी कमजोरी को देखकर हार मान लेते हैं परंतु ईशा ने हार नहीं मानी और अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाने का मन बना लिया.
श्वेता सिंह ने बताया कि उसने अपनी बच्ची के लिए बाएं हाथ से लिखने का सामान खरीदा जो कि उसको ऑनलाइन मिला. श्वेता के अनुसार बाएं हाथ से काम करने वाले बच्चों का सामान काफी महंगा आता है. श्वेता ने अपनी बच्ची के लिए ऑनलाइन शार्पनर खरीदा जिसकी कीमत लगभग 700 से 1200 रुपए थी. आम बच्चों का शार्पनर 5 रुपए से लेकर 10 रुपए के बीच में आता है जबकि ईशा के शार्पनर की कीमत कई गुना अधिक थी.
श्वेता ने अपनी बच्ची का शार्पनर और उसकी कीमत को Facebook पर पोस्ट किया जो कि काफी वायरल हो गया. आखिरकार श्वेता ने अपनी बच्ची और अन्य बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्टेशनरी का सामान बनाने वाली कंपनी को एक पत्र लिखने का निर्णय किया. इसके बाद उन्होंने भारत की सबसे बड़ी स्टेशनरी ब्रांड को लिखने के बारे में फैसला किया जो की पेंसिल भी बनाती है.
इस पत्र में उन्होंने लिखा कि “मुझे कंपनी के सम्मानित पद का विराजमान शख्स का फोन आया”. उस व्यक्ति ने उन्हें मदद का उचित वादा किया और तोहफे के रुप में उनकी बच्ची के लिए बाएं हाथ वाली 5 शार्पनर भेजी. हालांकि इस कंपनी के पास उचित शार्पनर उपलब्ध नहीं थे इसके बावजूद भी उन्होंने श्वेता को विश्वास दिलाया कि वह समस्या का कोई ना कोई हल जरूर निकालेंगे ताकि आगे जाकर किसी बच्चे को दिक्कत ना हो. इस कंपनी की यह प्रशंसनीय पहल किसी अखबार ने नहीं छापी परंतु सोशल मीडिया पर लोगों ने ट्वीट के जरिए स्टेशनरी उत्पादक की काफी प्रशंसा की और ईशा और उसकी मां के लिए तालियां बजाई.