‘मुस्लिम इलाक़े से तिरंगा मार्च नहीं निकालते तो हिन्दू न मारे जाते’, क्या फ़रहान ने कही ये बात?
नई दिल्ली – गणतंत्र दिवस के दिन उत्तर प्रदेश के कासगंज में भड़की हिंसा के दौरान चलाई गई गोली में चंदन गुप्ता नाम के युवक की मौत और दिल्ली के ख्याला इलाके में एक मुस्लिम परिवार के घरवालों द्वारा एक हिन्दु लड़के को बीच चौराहे पर काट डालने की घटना के बाद से लगातार देश में बवाल मचा हुआ है। लोगों में काफी गुस्सा अपना गुस्सा दिखा रहे हैं। कासगंज हिंसा की बात करें तो तिरंगा यात्रा के दौरान हुई चंदन गुप्ता की मौत के मामले में पुलिस ने 32 लोगों को गिरफ्तार किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जनवरी की सुबह कासगंज में ‘वन्देमातरम’और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए हाथों में तिरंगा झंडा लिए कुछ युवा मोटरसाइकिलों पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। उसी दौरान अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके में उनकी यात्रा को रोका गया और उनके ऊपर पथराव और फायरिंग की गई। इस फायरिंग में दो युवक अभिषेक गुप्ता उर्फ चन्दन एवं नौशाद घायल हो गए। जिसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने चंदन को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से लगार लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज उठाई और देश में होने वाली इस तरह ही घटना को गलत बताया।
इस घटना के अलगे ही दिन एक्टर, डायरेक्टर फ़रहान अख़्तर का एक कथित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर ऐसा कहा गया कि फ़रहान अख़्तर ने एक ट्विट के जरिये कहा है कि – ‘उस दिन अगर हिन्दू कासगंज के मुस्लिम बहुल इलाक़े से तिरंगा मार्च नहीं निकालते तो वो मारे न जाते।’ इस ट्विट के सामने आते ही लोगों ने फराहान अख्तर को खुब उलटा सीधा कहा। सोशल मीडिया पर फ़रहान की जमकर आलोचना की गई।
फऱहान के इस ट्विट पर जवाब देते हुए एक यूजर ने लिखा – ‘हर महीने में 4 और साल में 50 जुम्मे होते हैं लेकिन 26 जनवरी, हमारा राष्ट्रीय दिवस साल में सिर्फ़ एक बार ही आता है। फ़रहान को बयान देने से पहले ये पता होना चाहिए था कि वो गली में तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे, किसी मस्जिद में नहीं।’ हालांकि, सोशल मीडिया पर लोगों ने फ़रहान अख़्तर की खुब आलोचना की। लेकिन, किसी ने यह तक जानने की कोशिश नहीं कि की फरहान ने ऐसा कोई बयान दिया भी है या नही। सच्चाई जान बिना लोगों ने फरहान अख्तर को देश द्रोही तक कह डाला। अपनी इस तरह से अलोचना होते देख फरहान अख्तर खुद सामने आये और गौरव प्रधान नाम के शख़्स को टैग करते हुए लिखा – यह एक दुर्भावनापूर्व ट्वीट है।
मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। इस यूज़र को ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए। इसके बाद फ़रहान अख़्तर ने दूसरा ट्वीट किया – आप सभी लोग सोशल मीडिया के झूठे दावों पर विश्वास न करें। कुछ बुरे लोग हैं जो नफ़रत फैलाने का काम कर रहे हैं। किसी भी चीज़ पर विश्वास करने से पहले सच जान लें। यानि फरहान ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया था। आपको बता दें कि देश में अभी चंदन की हत्या का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि दिल्ली में 1 फरवरी की शाम एक मुस्लिम लड़की के परिवार वालों द्वारा अंकित की चाकू से उसका गला रेत कर की गई हत्या से फिर से बवाल मच गया है।