मिलिए रियल लाइफ के पैडमैन से, जिन्होंने सैनिटरी पैड बनाकर बदल दी करोड़ो महिलाओं की जिंदगी
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘पैडमैन’ काफी चर्चा में हैं और यह फिल्म 9 फरवरी को रिलीज हो रही है। वैसे तो फिल्म में अक्षय कुमार पैडमैन का रोल निभा रहे हैं लेकिन असल जिंदगी के पैडमैन को शायद ही आप जानते होंगे। आपको बता दें, कि अक्षर कुमार की यह फिल्म एक व्यक्ति की सच्ची कहानी पर आधारित है जिसने खुद से मशीन बना कर महिलाओं को सस्ते दाम पर सैनिटरी पैड्स उपलब्ध करवाने का काम किया और लाखों करोड़ों महिलाओं की जिंदगी संवार दी। इस रियल पैडमैन का नाम अरुनाचलम मुरुगनांथम हैं। आज हम आपको इसी व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं कि कैसे इन्होंने सैनिटरी पैड्स बनाने की शुरुआत की।
इस की शुरुआत तब हुई जब अरुनाचलम मुरुगनांथम ने देखा कि उनकी पत्नी अपनी माहवारी के समय में सैनिटरी पैड की बजाय गंदे कपड़े का यूज कर रही हैं। यह देखकर अरुनाचलम मुरुगनांथम को काफी खराब लगा। आप जानते होंगे कि सैनिटरी पैड का इस्तेमाल महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान मासिक धर्म के रक्त को सोखने के लिए करती हैं। जब अरुनाचलम ने अपनी पत्नी से सैनेटरी पैड इस्तेमाल न करने का कारण पूछा तो उनकी पत्नी ने कहा कि वे इस का इस्तेमाल इसलिए नहीं करती क्योंकि ये काफी महंगा है और इसकी जरूरत हर महीने पड़ती है और वे इस पर इतना खर्चा नहीं करना चाहती। अपनी पत्नी की बात सुनकर अरुनाचलम को काफी आश्चर्य हुआ कि आखिर महज 10 पैसे की कीमत वाली कॉटन से बना पैड कई गुना ज्यादा दाम में क्यों बेचा जा रहा है। इसके बाद अरुनाचलम ने फैसला लिया कि वह खुद सैनिटरी पैड बनाकर इसे सस्ती दरों पर महिलाओं को उपलब्ध कराएंगे।
अरुनाचलम मुरुगनांथम को पता चला कि देशभर में बहुत कम महिलाएं ही सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं और तत्पश्चात उन्होंने सैनेटरी पैड बनाने का काम शुरू कर दिया। शुरुआत में उनको काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि कोई इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहता था। इसके बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज की 20 छात्राओं को इसके लिए मनाया लेकिन इस से भी कुछ फायदा नहीं हुआ और उनको निराशा हाथ लगी। लेकिन अरुनाचलम ने इसके पश्चात भी हार नहीं मानी और इन्हें खुद पहनकर ट्राय करने का फैसला लिया।
अरुनाचलम मुरुगनांथम को शुरुआत में यह भी पता नहीं था कि आखिर सैनेटरी पैड में होता क्या है। उन्होंने इसके ऊपर काफी रिसर्च की जिसमें उन्हें पता चला कि इसमें कॉटन होता है। इसके बाद अरुनाचलम मुरुगनांथम ने सैनेटरी पैड बनाने वाली कंपनियों से पैड बनाने की विधि जानने की कोशिश की लेकिन जाहिर सी बात है कोई भी कंपनी किसी को भी भला अपनी विधि क्यों बताना चाहेंगी। इसके बाद अरुनाचलम ने एक प्रोफेसर की मदद से मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों से बातचीत की और काफी खर्चा भी किया आखिरकार कोयंबटूर के टेक्सटाइल के मालिक ने अरुनाचलम का साथ दिया।
लेकिन अरुनाचलम के सामने एक चुनौती यह थी कि सैनेटरीड बनाने वाली मशीन लाखों में थी जिसको खरीदना मुश्किल था। अरुनाचलम ने खुद मेहनत करके अपनी मशीन तैयार की, जिसमें सिर्फ 75 हजार रुपए का खर्चा आया। अच्छी क्वालिटी की सैनेटरी पैड बनाने में अरुनाचलम मुरुगनांथम को लगभग दो साल का समय लगा। इसके बाद मुरुगनांथम ने 18 महीने में ऐसी 250 मशीनें तैयार कीं और इन्हें भारत के कई राज्यों में भेजा। अरुनाचलम मुरुगनांथम की मेहनत के बदौलत अब एक महिला एक दिन में 250 पैड बना सकती है। उन्होंने ऐसा करके बहुत सी महिलाओं की जिंदगी बदल दी। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अरुनाचलम मुरुगनांथम को सम्मानित भी किया था।