इसरो ने किया जीसैट-18 का सफल परिक्षण, संचार के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी: मोदी ने दी वैज्ञानिकों को बधाई!
नई दिल्ली: इसरो ने आज संचार उपग्रह जीसैट-18(ISRO GSAT 18) का सफल प्रक्षेपण किया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में दूसरा ‘मील का पत्थर’ बताते हुए इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
इस उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है। इस उपग्रह का प्रक्षेपण देश की संचार सेवाओं को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है। देश द्वारा परिचालित उपग्रहों की संख्या जीसैट-18 (ISRO GSAT 18)के सफल प्रक्षेपण के बाद बढ़कर 14 हो गई है। एरियनस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इस्राइल ने ट्वीट करके कहा कि, हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है। स्टीफन ने कहा हमने आज रात 20वां उपग्रह भेजा। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए बधाई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा, “संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को ढेर सारी बधाई। यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का दूसरा ‘मील का पत्थर’ है।“ आपको बता दें कि है कि फ्रेंच गुएना के कोउरू अंतरिक्ष केन्द्र से एरियनस्पेस रॉकेट के माध्यम से जीसैट-18 का सफल प्रक्षेपण किया गया है।
जीसैट-18 (ISRO GSAT 18) उपग्रह लगभग 15 साल तक अंतरिक्ष में रहकर अपनी सेवाएँ देगा।
इसरो अध्यक्ष ए. एस. किरण कुमार जो मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण पर नजर रख रहे थे, उन्होंने कहा, मैं एरियन-5 वीए-231 की गौरवशाली तथा बिना किसी गलती के उड़ान को देखकर बहुत खुश हूँ। यह जीसैट-18 और स्काईमस्टर-2 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में ले गया है। पहले की ही तरह एरियनस्पेस ने हमें एक कामयाब और अच्छी उड़ान देने में मदद की है। इन बैंडों में परिचालित उपग्रहों पर सेवा लगातार उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है। जीसैट-18 उपग्रह लगभग 15 साल तक अंतरिक्ष में रहकर अपनी सेवाएँ देगा।
कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के प्रमुख नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने जीटीओ में जीसैट-18 के प्रक्षेपण के साथ ही उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। अब यह केंद्र उपग्रह की लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) के माध्यम से इसे वृत्ताकार भूस्थतिक कक्षा में स्थापित करने के बाद इसकी कक्षा को बदलने का काम करेगा।
इसरो ने कहा कि इसके बाद एंटीना और सौर पैनल जैसे उपकरणों को तैनात किया जायेगा तथा उपग्रह का त्रि-अक्ष स्थिरीकरण करने का काम किया जाएगा। जीसैट-18 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर में तथा अन्य काम कर रहे उपग्रहों के साथ ही स्थापित किया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को पाटने के लिए खास तौर पर जीसैट-18 का सह यात्री स्काई मस्टर-2 है। इसका निर्माण पालो आल्टो, कैलिफोर्निया सहित एसएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) ने किया है।