बजट 2018: अल्पसंख्यकों को खत्म नहीं बल्कि उन्हे बढ़ावा दे रही है मोदी सरकार
देश: सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार को अल्पसंख्यक विरोधी सरकार भी कई बार बताया गया। लेकिन अगर आप मोदी सरकार के पिछले बजट पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि मोदी सरकार के हर बजट में अल्पसंख्यक का बजट बढ़ता ही गया। जी हां, केंद्र की सत्ता में काबिज होने के बाद से मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों लेकर बड़ा आरोप लगाया जाता है, लेकिन हमारे इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आप भी कहेंगे कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों को खत्म नहीं बल्कि उन्हें बढ़ावा दे रही है। तो आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में खास क्या है?
केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से ही विपक्ष ऐसा हंगामा कर रही थी कि अब अल्पसंख्यक मंत्रालय ही खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया। बता दें कि मोदी कार्यकाल के दौरान हर बजट सत्र में अल्पसंख्यकों के बजट को बढ़ाया गया है, जिससे साफ जाहिर होता है कि मोदी सरकार अल्पसंख्यक विरोधी नहीं है। बता दें कि पिछले चार साल में मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों के बजट में करीब 5 सौ करोड़ का इजाफा किया है, लेकिन इसके बावजूद अल्पसंख्यकों के चेहरे पर मुस्कान लाने में मोदी सरकार नाकाम दिख रही है।
बता दें कि 1 फरवरी को मोदी सरकार अपने इस कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करने जा रही है, ऐसे में इस बार भी यही उम्मीद जताई जा रही है कि अल्पसंख्यकों के बजट में इस बार भी इजाफा देखने को मिल सकता है। बता दें कि अल्पसंख्यकों के लिए मिलने वाले बजट को मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के विकास के लिए खर्च किया जाता है, जिसके लिए सरकार इस पर पूरा ध्यान देती है। इस बार का बजट इन समुदायों के लिए और भी खास हो सकता है क्योंकि सरकार आगामी लोकसभा को ध्यान रखते हुए ही बजट पेश करने वाली है।
याद दिला दें कि 2006 में यूपीए कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यक मंत्रालय खोला गया, इस मंत्रालय पर इन समुदायों के विकास की जिम्मेदारी है। 2006 में पहली बार अल्पसंख्यक मंत्रालय को 143 करोड़ का बजट मिला था, लेकिन अब ये आंकड़ा 4 हजार करोड़ के ऊपर पहुंच गया है, इससे ये साफ जाहिर होता है कि अल्पसंख्यकों को लेकर सरकार बहुत सजग है।