पूजा के दौरान किस धातु का करना चाहिए इस्तेमाल और कौन सी धातु बढ़ाती है दुर्भाग्य, जानें
पूजा-पाठ हर धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। हर धर्म में पूजा-पाठ को महत्पूर्ण माना गया है। इसी से लोग अपने इष्टदेव को प्रसन्न करके, उनसे मनचाहे फल की प्राप्ति करते हैं। पूजा-पाठ करने से ना केवल देवताओं को खुश किया जा सकता है, बल्कि खुद के मन को भी शांत रखने में मदद मिलती है। ऐसा मन जाता है कि पूजा-पाठ करने से जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियाँ भी हल हो जाती हैं। पूजा पाठ में कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।
अक्सर पूजा के दौरान लोग कई तरह के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं। अक्सर ये बर्तन कई धातुओं से बने होते हैं। पूजा के दौरान किस धातु का इस्तेमाल करना चाहिए और किस धातु के इस्तेमाल से बचना चाहिए, इसके बारे में भी कई नियम बताये गए हैं। जिन धातुओं को पूजा के दौरान इस्तेमाल करने से वर्जित किया गया है, उनका भूलकर भी पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वरना आपकी पूजा का पूरा फल आपको नहीं मिल पाता है। इससे उलटे आपके दुर्भाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। इसलिए पूजा के दौरान वर्जित धातुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कौन सी शुभ धातु और कौन सी अशुभ:
पूजा के दौरान बर्तनों का काफी महत्व है। बिना बर्तनों के कोई भी पूजा आसानी से नहीं की जा सकती है। आरती के लिए अलग बर्तन। आजकल तो दीपक भी मिट्टी के दिए में नहीं बल्कि धातु के दिए में जलाया जा रहा है। प्रसाद रखने के लिए अलग बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग धातुओं का फल अलग-अलग मिलता है। इनके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों हैं। सोना, चाँदी, पीतल, ताम्बे के बर्तनों का पूजा में उपयोग शुभ माना गया है। इन धातुओं के इस्तेमाल से पूजा करने पर देवी-देवता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं।
पूजा एक धार्मिक क्रिया है, इसलिए शुभ-अशुभ का ज्यादा ध्यान देना चाहिए। पूजा-पाठ या किसी भी धार्मिक क्रिया में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम के इस्तेमाल को अशुभ माना जाता है। यही वजह है कि इन धातुओं की मूर्तियाँ नहीं बनायी जाती थी। लेकिन अब तो कई लोग एल्युमिनियम की भी मूर्तियाँ बनाकर बाजार में बेच रहे हैं। इन अशुभ धातुओं का इस्तेमाल पूजा के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। लोहे में हवा-पानी से जंग लग जाता है। एल्युमिनियम से भही कालिख निकलती है।
पूजा के दौरान कई बार मूर्तियों को स्नान करवाया जाता है। स्नान करवाते समय उन्हें हाथों से रगड़ना भी पड़ता है। ऐसे में लोहे और एल्युमिनियम से निकलने वाली जंग और कालिख हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होती है। यही वजह है कि पूजा के दौरान लोहा और एल्युमिनियम के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। पूजा के दौरान सोना, चाँदी, पीतल, ताम्बे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। इन धातुओं को रगड़ना हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार इन धातुओं के लगातार संपर्क में रहने की वजह से कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।