ज्यादातर लोगों को नहीं पता है रामायण के सुन्दरकाण्ड की ये महत्वपूर्ण बातें, जानें
हिन्दू धर्म में कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनके बारे में हमारे बड़े-बुजुर्गों को भी नहीं पता है। हिन्दू धर्म के सबसे बड़े महाकाव्य रामायण के बारे में तो आप सभी लोग जानते होंगे। रामायण में भगवान राम के जीवन का चित्रण किया गया है। भगवान राम के साथ-साथ उनके जुड़े हुए सभी लोगों के बारे में भी रामायण में बात की गयी है। रामायण में भगवान् राम, लक्ष्मण और माता सीता के आलावा हनुमान जी भी एक प्रमुख पात्र थे। श्रीराम के बाद हनुमान जी की बात की जाती है।
हनुमान जो को श्रीराम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति हनुमान जी को खुश करना चाहता हो, उसे पहले श्रीराम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अगर श्रीराम खुश हो गए तो हनुमान जी अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्हें माता सीता से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था, इसी वजह से वह आज भी जीवित हैं। कलयुग में उन्हें ही भक्तों की सबसे पहले पुकार सुनने वाला देवता कहा जाता है।
जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियाँ बढ़ जाए और कोई काम नहीं बने या उसके तो आत्मविश्वास में कमी आ जाये तो उसे सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए। इससे व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं। आपको बता दें रामचरित मानस के इस पांचवें अध्याय को लेकर लोग सबसे ज्यादा चर्चा करते हैं। ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि इस अध्याय का नाम सुन्दरकाण्ड ही क्यों रखा गया। आज हम आपके इस सवाल का जवाब लेकर आये हैं।
रामचरित मानस में कुल सात अध्याय हैं। सुन्दरकाण्ड के अलावा सभी अध्यायों के नाम स्थान और स्थितियों के हिसाब से रखे गए हैं। बाललीला पर आधारित अध्याय का बालकाण्ड, अयोध्या की घटनाओं से सम्बन्ध रखने वाला अयोध्या कांड, जंगल के जीवन से जुड़ा अरण्य कांड, किष्किन्धा राज्य से जुड़ा किष्किन्धा कांड, लंका से जुड़े हुए युद्ध को लंका कांड और जीवन से जुड़े हुए प्रश्नों के उत्तर उत्तर कांड में दिए गए हैं। पांचवें अध्याय का नाम सुन्दरकाण्ड रखने के पीछे भी एक ऐसी ही कहानी है।
जब सीता माता का अपहरण करके रावण उन्हें लंका ले गया था तो श्रीराम के आदेश के बाद हनुमान जी सीता माता की खोज में निकले थे। लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर स्थित थी। त्रिकुटाचल पर्वत इसलिए कहा जाता था क्योंकि यहाँ तीन पर्वत थे। पहले पर्वत का नाम सुबैल पर्वत था, जहाँ युद्ध हुआ था। दुसरे पर्वत का नाम नीला पर्वत था, जहाँ सभी राक्षसों के घर बने हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम सुन्दर पर्वत था, जहाँ अशोक वाटिका थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमान जी सीता माता से मिले थे।
इस कांड की सबसे मुख्य घटना यही थी, इसलिए इसका नाम सुन्दरकांड रख दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि सुन्दर कांड के पाठ से व्यक्ति को बहुत जल्दी सफलता मिल जाती है। जो व्यक्ति प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है, उसके जीवन के सारे दुःख दूर हो जाते हैं। इस कांड में हनुमान जी अपनी बुद्धि और बल से माता सीता की खोज करते हैं। यही वजह है कि सुन्दरकांड को हनुमान जी की सफलता के लिए जाना जाता है। जो भी व्यक्ति इसका पाठ करता है, उसे भी सफलता मिलती है।