आज बसंत पंचमी के दिन बिल्कुल भी ना करें ये काम वरना जिंदगी भर पछताओगे।
आज बसंत पंचमी का त्योहार है। यह त्योहार पूरे भारत में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है और कामदेव की पूजा भी की जाती है। पारम्परिक रूप से यह त्यौहार कठिन शीत ऋतु के बीत के जाने और खुशनुमा मौसम आने के रूप में सेलेब्रेट किया जाता है और इस त्योहार से अनेेक रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। देशभर में बसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते हैं सरस्वती पूजा के पीछे की पौराणिक कथाओं के बारे में जो बहुत प्रचलित है और इस दिन कौन से ऐसे काम जो वर्जित हैं और नहीं करने चाहिए।
पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी। पारंपरिक रूप से यह त्योहार बच्चे की शिक्षा के लिए काफी शुभ माना गया है इसलिए देश के अनेक भागों में इस दिन बच्चों की पढाई-लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है और बच्चों को इस दिन पहला अक्षर लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है। इसके अलावा इस दिन सुर एवम विद्या की जननी मां सरस्वती के वाद्य यंत्रो एवम पुस्तकों का भी पूजन भी किया जाता हैं और इस दिन पीले वस्त्र पहने जाते हैं।
पौराणिक कथाओं में एक यह कथा भी काफी प्रचलित है जब ब्रह्मा जी ने ब्रह्माण्ड की संरचना का कार्य शुरू उस समय उन्होंने पहले मनुष्य को बनाया लेकिन उनके मन में एक दुविधा थी उन्हें चारो तरफ सन्नाटा सा महसूस हुआ तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिडक कर एक देवी को जन्म दिया जो उनकी मानस पुत्री कहलायी, जिन्हें आज हम सरस्वती देवी के रूप में जानते हैं, इस देवी का जन्म होने पर इनके हाथ में वीणा, दूसरी में पुस्तक और अन्य में माला थी। उनके जन्म के बाद उनसे वीणा वादन को कहा गया तब देवी सरस्वती ने जैसे ही स्वर को बिखेरा वैसे ही धरती में कम्पन्न हुआ और मनुष्य को वाणी मिली और धरती का सन्नाटा खत्म हो गया। धरती पर पनपने हर जिव जंतु, वनस्पति एवम जल धार में एक आवाज शुरू हो गई और सब में चेतना का संचार होने लगा।
कहते हैं इस दिन इस दिन काले और लाल रंग के वस्त्र बिल्कुल धारण नहीं करने चाहिए, बसंत पंचमी के दिन पीले, सफेद या धानी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है। यह प्रकृति का त्योहार है, इस समय खेत खलियानों में हरियाली का मौसम होता हैं यह उत्सव किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं इस समय खेतों में पीली सरसों लहराती हैं किसान फसल के आने की खुशी में यह त्यौहार मनाते हैं लेकिन इस दिन फसल काटने के काम को टाल देना चाहिए। साथ ही घर में भी किसी भी पेड़ की छंटाई भी नहीं करनी चाहिए, हो सके तो इस दिन कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन भूलकर भी किसी के लिए अनाप-शनाप शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन सरस्वती जुबान पर होती हैं। इसलिए अपनी वाणी पर संयम रखें और सबसे प्रेम पूर्वक बात करें। किसी को बुरे बोल ना बोलें। सबके साथ मधुरता का व्यवहार करें। खुद के लिए भी कुछ बुरा या कोसने वाली बातें ना कहें क्योंकि वह सच साबित हो सकता है। इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है इसलिए घर में भूलकर भी कलह नहीं करनी चाहिए। इससे पितरों को कष्ट होता है। बिना स्नान किए भोजन ना ग्रहण करें। पहले सरस्वती वंदना करें और मां सरस्वती को भोग लगाएं।
बसंत पंचमी के दिन मांसाहार और शराब का सेवन से परहेज करना चाहिए। केवल सात्विक भोजन करें। आज के दिन पुखराज,और मोती धारण करना अतीव लाभकारी होता है। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है। माघ शुक्ल पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा के बाद षष्ठी तिथि को सुबह माता सरस्वती की पूजा करने के बाद उनका विसर्जन कर देना चाहिए। संध्या काल में मूर्ति को प्रणाम करके जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
इस दिन दान का भी बहुत महत्व होता हैं वसंत पंचमी के दिन अन्न दान, वस्त्र दान का महत्व होता हैं आजकल सरस्वती जयंती को ध्यान में रखते हुए गरीब बच्चो की शिक्षा के लिए दान दिया जाता हैं। इस दान का स्वरूप धन अथवा अध्ययन में काम आने वाली वस्तुओं जैसे किताबे, कॉपी, पेन आदि होता हैं। इसके अलावा गरीबों में कम्बल का दान करना चाहिए। तिल के लड्डू और ऊनी वस्त्र गरीबों में बाटने से शारीरिक कष्ट का नाश होता है और धन तथा संपदा आती है।