ये हैं देवी सरस्वती के 6 सबसे खास मंदिर, अपनी विशेषता और रहस्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्द
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें से कुछ देवी-देवता बहुत ही खास हैं। हर देवी-देवता की पूजा विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए किया जाता है। जैसे व्यक्ति को शक्ति की कामना होती है तो वह माँ दुर्गा की आराधना करता है और धन की इच्छा होती है तो माता लक्ष्मी की आरधना करता है। वैसे ही जिस व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि पानें की भूख रहती है, वह ज्ञान की देवी माता सरस्वती की आरधना करता है।
आज यानी 22 जनवरी के दिन वसंत पंचमी का पर्व पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आज ही के दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। यही वजह है कि वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी सरस्वती के इस खास मौके पर आज हम आपको सरस्वती माता के 6 ऐसे अद्भुत और विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी विशेषता के लिए जानें जाते हैं। इन मंदिरों के पीछे कई रहस्य और कहानियां भी हैं।
माता सरस्वती के 6 प्रमुख मंदिर:
अगर धार्मिक कथाओं के ऊपर विश्वास किया जाए तो उसके अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद यही पर ऋषि वेदव्यास ने देवी सरस्वती की तपस्या की थी। जिससे खुश होकर माता सरस्वती ने वेदव्यास को अपने दर्शन दिए थे। माता सरस्वती के आदेश पर वेदव्यास ने तीन जगहों पर तीन मुट्ठी रेत रखी और रेत सरस्वती, काली और लक्ष्मी की प्रतिमा में तब्दील हो गयी।
आपको बता दें केरल में तो वैसे कई मंदिर हैं लेकिन देवी सरस्वती का यह एकमात्र मंदिर है। यह मंदिर अपनी खासियत की वजह से पुरे विश्व में प्रसिद्द है। इस मंदिर को दक्षिण मुकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में देवी सरस्वती की मूर्ति पूर्व दिशा की तरह मुंह करके स्थापित की गयी है।
वैसे तो बाली में कई हिन्दू मंदिर स्थापित हैं। लेकिन यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्द और ख़ास है। देवी सरस्वती का यह मंदिर बाली में उबुद में है। इस मंदिर में बना कुंड यहाँ का मुख्य आकर्षण है। इस मंदिर में हर रोज संगीत के कार्यक्रम होते हैं।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण श्री शंकर भागावात्पदा ने 7वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर की मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि पहले मंदिर में चन्दन की सरस्वती की प्रतिमा थी, जिसे बाद में बदल कर सोने का कर दिया गया।
मध्यप्रदेश के सतना जिले की त्रिकुटा पहाड़ी पर माँ दुर्गा के शारदीय रूप देवी शारदा माँ प्रसिद्द मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में भी कई रहस्यमयी बातें की जाती हैं। ऐसा मन जाता है कि इस मंदिर में पिछले हजारों सालों से आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी पूजा कर रहे हैं। जब सुबह-सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो दीपक जलता हुआ पाया जाता है।
अभी देवी-देवताओं के मंदिर आपको देखने को मिल जायेंगे लेकिन ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है। ब्रह्मा जी के मंदिर से कुछ ही दूरी पर पहाड़ी पर माता सरस्वती का मंदिर भी स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि माता सरस्वती ने ही ब्रह्मा जी को शाप दिया था कि उनका एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही होगा।