आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है भगवान शिव का यह मंदिर, जानकर हो जायेंगे आप भी हैरान
हिन्दू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। साधारणतया हिन्दू धर्म को मानने वाला हर व्यक्ति हर देवी-देवता की पूजा करता है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो किसी खास देवी-देवता के उपासक होते हैं। वह अन्य देवी-देवताओं की पूजा तो करते हैं लेकिन अपना सारा ध्यान अपने इष्टदेव पर लागते हैं। ऐसे ही भगवान शंकर हैं, जिनकी पूजा सबसे ज्यादा की जाती है। भगवान शिव के उपासक आपको हर जगह मिल जायेंगे।
भगवान शिव के उपासक ज्यादा होने की वजह से उनके जगह-जगह पर मंदिर भी बने हुए हैं। भगवान शिव के कई मंदिर तो इतने ज्यादा प्राचीन हैं, कि आज भी उसके निर्माण के सही समय के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। कुछ मंदिर अपनी विशेषता और चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं तो कुछ अपने रहस्यों के लिए। भगवान शिव के कई मंदिर अपने रहस्यों के लिए भी जाने जाते हैं। भगवान शंकर के पुरे विश्व में कई मंदिर हैं।
हर मंदिर का अपना-अपना इतिहास है। मंदिर का यही इतिहास उन्हें खास और प्रसिद्द बनाता है। भारत में कई ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनके रहस्य आज के इस तकनिकी युग में भी कोई नहीं जान पाया है। ऐसा ही भगवान शिव का एक रहस्यमयी मंदिर ओड़िसा में है। यह मंदिर अजीबो-गरीब तरीके से झुका हुआ है। ऐसा क्यों हुआ है, इसके बारे में आजतक कोई पता नहीं लगा पाया है। पौराणिक इतिहास के अनुसार जब इस जगह पर मंदिर स्थापित नहीं था, तब एक गाय यहाँ हर रोज आकर एक पत्थर का अपने दूध से अभिषेक करती थी।
किसी भी इमारत का झुकना आम बात है। लेकिन अगर वह इमारत पथरीली जगह पर बना हुआ हो तो उसका झुकना एक आश्चर्य लगता है। ऐसा ही इस मंदिर के साथ भी है। यह मंदिर जहाँ बना हुआ है, वहां की भूमि पथरीली है। इसके बाद मंदिर का झुक जाना कोई अजूबा लगता है। इस मंदिर के अजूबे को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। यह मंदिर संबलपुर के हुमा गाँव की महानदी तट पर स्थित है। लोगों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण संबलपुर के चौहान वंश के राजा बलियार सिंह देव ने 1670 ईसवी में करवाया था।
इस मंदिर को लेकर कई तरह की स्थानीय कहानियां प्रचलित हैं। जैसा कि पहले ही आपको बता चुके हैं, जब यहाँ पर मंदिर नहीं था तब एक गाय हर रोज आकर एक पत्थर पर दूध से अभिषेक करती थी। जब इस बात का पता उस गाय के मालिक को चला तो वह बहुत हैरान हुआ और वह ही हर रोज वहां जाकर उस पत्थर की पूजा करने लगा। उस व्यक्ति को हर रोज वहां पूजा करते हुए देखकर वहां के राजा बलराम देव ने उस जगह पर एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया।
आज यह मंदिर लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है। जब मंदिर टूटने लगा तो चौहान वंश के राजा बलियार देव सिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। जिस जगह पर मंदिर का निर्माण किया गया है, वहां की जमीन बहुत पथरीली है। इसके बावजूद यह मंदिर कब और कैसे झुक गया? इस सवाल का जवाब आज भी किसी के पास नहीं है। आज भी जो व्यक्ति इस मंदिर को देखते है, बिना हैरान हुए नहीं रहता है। मंदिर के रहस्य को आजतक कोई सुलझा नहीं पाया है।