इधर बवाना कांड में जलती रही दिल्ली तो उधर सियासत का संग्राम जारी रहा
नई दिल्ली: शनिवार की देर शाम दिल्ली के बवाना इलाके में एक दर्दनाक हादसा हो गया। जी हां, हादसें में 17 लोगों की मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा ऐसा हुआ कि जो जहां था, उसकी वहीं मौत हो गई। हादसें की भनक लगने पर दिल्ली सरकार ने भले ही जांच के आदेश दिये गये, लेकिन सिर्फ आदेश से क्या होता है? दु:ख की बात तो यह है कि इतने दर्दनाक हादसें पर भी दिल्ली में सियासी संग्राम जारी है।
बता दें कि दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रियल एरिया की एक पटाखा फैक्ट्री और प्लास्टिक फैक्ट्री में शनिवार की देर शाम भयंकर आग लगने की वजह से 17 जिंदगियां देखते ही देखते खामोश हो गई। इस हादसे में किसी ने अपनी बेटी खोई, तो किसी ने अपना बेटा। खबरों की माने तो इतनी तेजी से फैली कि किसी को बचाने का मौका नहीं मिला।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविद केजरीवाल ने जांच के आदेश दिये हैं। इतना ही नहीं, फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही थी, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार को कठघरें में खड़ा किया गया। बता दें कि दिल्ली में एमसीडी और आप पार्टी के बीच लगातार घमासान जारी है। जी हां, दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि रविवार की सुबह पटाखा फैक्ट्री के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया। सीएम केजरीवाल ने पीड़ित परिवारों को 5 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है, तो वहीं राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने हादसें पर दु:ख जताया है। हादसे के बाद दिल्ली का सियासी पारा बहुत ही ज्यादा चढ़ चुका है।
बीजेपी ने मामलें मेें केजरीवाल से इस्तीफा की मांग करने के साथ ही केजरीवाल की सरकार को नाकाम बता दिया। इतना ही नहीं, आप के बागी विधायकों ने भी केजरीवाल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह सब सरकार की नाकामी का नतीजा है। बता दें कि पटाखा फैक्ट्री के मालिक के पास लाइसेंस नहीं था। खैर, जो भी हो लेकिन इस तरह के हादसों पर सियासत करना कहां तक उचित है?