जानिए गर्भ में बच्चे कैसे होते हैं बड़े और किस तरह होता है उन के अंगों का विकास,पढ़ें पूरी स्टोरी
हर स्त्री के लिए मां बनना जीवन का सबसे बड़ा सुख होता है और गर्भावस्था का हर दिन उसके लिए विशेष होता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान महिला हर पल अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में सोचती रहती है .. उसे ये जानने की उत्सुकता रहती है कि कैसे उसकी बच्चा विकसित हो रहा है.. कौन से महिने में बच्चे के कौन-कौन से अंग का विकास होता है और वो कैसा दिखता है । वैसे आजकल मेडिकल साइंस इतना विकसित हो चुका है कि अब डॉक्टर गर्भ में पल रहे बच्चे की तस्वीर तक पैरेंट्स को उपलब्द्ध करा रहें हैं लेकिन बहुत से लोग हैं जो अभी तक इससे अंजान है .. तो उनके लिए आज हम बताने जा रहे हैं कि पहले से नौंवे महीने तक बच्चा किस तरह मां के गर्भ में विकसित होता है।
पहले महीने में भ्रूण एक पानी भरी थैली में होता है, उसकी लंबाई केलव 0.6 से.मी. तक होती है। हालांकि इस दौरान शिशु की लंबाई और वजन में तेजी से बढ़ोतरी होती है।
दूसरे महिने के दौरान बच्चे की श्रवण और दृष्टि इंद्रिया विकसित होने लगती हैं पर अब तक पलकें बंद रहती हैं।इसके साथ ही चेहरे के नैन-नक्श बनने शुरू हो जाते हैं और दिमाग का भी विकास होने लगता है। हाथ-पैर की उंगलियां व नाखून बनने लगते हैं,नाभिनाल बनती है, अमाशय, यकृत, गुर्दे का विकास शुरू हो जाता है। इस दौरान महिला को गर्भाशय पेट में मुलायम गांठ की तरह महसूस होता है। वहीं शिशु के लंबाई की बात करें तो वो तकरीबन 3 से.मी. का होता और वजन 1 ग्राम होता है।
तीसरे महीने में शिशु के वोकल कॉर्डस बन चुके होते हैं और शिशु सिर ऊपर उठा सकता है.. हालांकि आकार बहुत छोटा होने के कारण उसकी हलचल महसूस नहीं की जा सकती है। वही अंगो की बात करें तो उसकी आंखें बन चुकी होती हैं, प पलकें अभी भी बंद होती हैं। इसके साथ उसके हाथ, उंगलियां, पैर, पंजे और पैरों की उंगलियां और नाखून इस महीने में विकसित हो रहे होते हैं।
चोथे महीने में बच्चे की लंबाई और वजन में तेजी से वृद्धी होती है। साथ ही उसके बाल भी आने शुरू हो जाते हैं । इसके अलावा भौहें और पलक के बाल भी आने लगते हैं।जबकि उसकी त्वचा वसायुक्त हो जाती है। वहीं शिशु की लंबाई 18 से.मी. और वजन 100 ग्राम होता है।
पांचवे महीने में गर्भस्थ बच्चा कुछ समय गतिशील रहता है तो कुछ समय शांत। वहीं इस दौरान एक सफेद चिकना स्त्राव शिशु की त्वचा की एम्नीओटिक पानी से सुरक्षा करता है। पांचवे महीने शिशु की लंबाई लगबग 25 से 30 से.मी. और वजन करीब 200 से 450 ग्राम तक होती है।
छठे महीने में बच्चे की आंख पूरी तरह विकसित हो जाती है साथ ही पलकें भी खुलने बंद होने लगती हैं ।जबकि उसकी त्चचा झुर्री भरी और लाल रहती है। छठे महीने में बच्चा रो सकता है और लात मार सकता है। उसे हिचकी भी आ सकती है।
सातवें महीने में बच्चे की धड़कन सुनी जा सकती है। इस दौरान वो अंगूठा भी चूसता है।वहीं शिशु की लंबाई तकरीबन 32-42 से.मी. तक होती है और वजन लगबग 1100 ग्राम से 1350 ग्राम होता है।
आठवें महीने में शिशु की आंखें खुलती हैं और वो जागने-सोने की खास आदत के साथ सक्रिय रहता है। इस दौरान उसका वजन करीब 2000 – 2300 ग्राम है और लंबाई 41-45 से.मी होती है। इस महीने बच्चे की हलचल साफ महसूस होती है।
इस महीने बच्चे का सिर नीचे और पैर ऊपर की तरह होते हैं। बच्चे की आंखें गहरे कबूतर रंग की होती हैं हालांकि जन्म के बाद उसका बदलता है। हालांकि इस महीने बच्चा शांत रहता है। उसकी लंबाई 50 से.मी. और वजन 3200-3400 ग्राम के आस पास होता है।