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दिल्ली में उपचुनाव होने के आसार, बीजेपी-कांग्रेस की होगी बल्ले-बल्ले

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सियासत इस समय नया मोड़ लेती दिख रही है। जी हां, चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की सिफारिश से तूफान सा मच गया है। बता दें कि अगर राष्ट्रपति इस फैसले पर मुहर लगाते है तो दिल्ली में एक बार फिर से उपचुनाव होगा। आइय़े देखते है कि अब तक इस मामलेंं में क्या क्या हुआ?

बता दें कि शुक्रवार को चुनाव आयोग द्वारा आप पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की सिफारिश से जहां एक तरफ आप पार्टी को झटका लगा है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी-कांग्रेस के मन में खुशियां नजर आती दिख रही है। जी हां, कांग्रेस और बीजेपी लगातार सीएम केजरीवाल पर इस्तीफा देने का दबाव बनाती दिख रही है। ऐसे में यहां दिल्ली का सियासी गणित समझना बहुत जरूरी है।

जी हां, 2015 में हुए विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर महारथ हासिल की थी। लेकिन वक्त बीतते बीतते आप पार्टी में फूट होने लगी, अब यह सदस्यता 62 की बचती है। यानि आम आदमी पार्टी के पास अभी भी 64 सीट है, जोकि बहुमत से बहुत ही ज्यादा है। ऐसे में अगर 20 विधायकोंं की सदस्यता रद्द कर दी जाती है, फिर आप पार्टी के पास बहुमत होगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 35 सीट चाहिए लेकिन केजरीवाल के इन 20 विधायकों की बात छोड़ दी जाए तो उनके पास 42 विधायक बचेंगे जोकि बहुमत से ज्यादा आकड़ा है। ऐसे में यह सवाल तो छोड़ ही देना चाहिए की केजरीवाल की सरकार गिर जाएगी।

आप पार्टी को हाई कोर्ट से भी झटका लग चुका है। यानि अब इस मामलें मेें राष्ट्रपति को ही फैसला लेना है। ऐसे में अगर सदस्यता रद्द हुई तो उपचुनाव होंंगे। बता दें कि यह मौका विपक्षियों दलों के लिए सुनहरा है, क्योंकि कांग्रेस के पास दिल्ली में एक भी सीट नहीं है, ऐसे में कांग्रेस इस मौके का भरपूर फायदा उठाना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी 20 की 20 सीटों को अपने नाम करना चाहेगी क्योंकि बीजेपी के लिए दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करना बहुत जरूरी है।

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