आज ही अपनी कलाई पर बाँध लें यह चमत्कारिक चीज, कट जायेगा जीवन का बुरे से बुरा समय
किसी भी व्यक्ति का जीवन हमेशा एक जैसा नहीं होता है। उतार-चढ़ाव हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भले ही करोड़पति व्यक्ति क्यों ना हो, उसके जीवन में भी कई तरह की परेशानियाँ होती हैं। सबके जीवन में परेशानी होती है, बस उसका रूप अलग-अलग होता है। जीवन में जीत उसी व्यक्ति को मिलती है जो इन परेशानियों का बिना डरे अच्छे से सामना करता है। कुछ लोग जीवन की परेशानियों के आगे घुटने टेक देते हैं और जीवन में पीछे रह जाते हैं। कई बार आप कोई काम करते हैं, लेकिन आपको उसमें सफलता नहीं मिलती है।
जबकि दूसरे वही काम करते हैं और उनसे आसानी से सफलता मिल जाती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा हो तो समझ जाइये कि आपको किस्मत का साथ नहीं मिल रहा है। किस्मत आपसे इम्तेहान ले रही है। इस बारे में ज्योतिष की राय है कि ऐसा व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोषों की वजह से हो सकता है। ग्रहों के दोष से मुक्त होने और जीवन के दुर्भाग्य से मुक्ति पानें के लिए देवी-देवताओं की पूजा करना अच्छा उपाय है। पूजा-पाठ के बाद हाथों पर एक लाल रंग का धागा बांधा जाता है जो बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। जानिए मौली क्या है और इसको बाँधने से क्या फायदे होते हैं?
मौली क्या है और इसके फायदे:
*- आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी घर में या मंदिर में कोई पूजा-पाठ होती है तो पूजा की समाप्ति के बाद ब्राह्मण एक लाल रंग का धागा बांधते हैं, जिसे मौली कहा जाता है।
*- इस धागे को कलाई पर बाँधने से केवल धार्मिक लाभ ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सबंधी भी कई फायदे होते हैं।
*- मौली के बारे में यह कहा जाता है कि इसे कलाई पर बाँधने से त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश और तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
*- जो लोग अपनी कलाई पर मौली बांधते हैं, उन्हें ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से बल और शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है।
*- ठीक ऐसे ही कलाई पर मौली बाँधने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी से धन, पार्वती यानी दुर्गा से शक्ति और सरस्वती से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
*- कलाई पर जिस जगह मौली बाँधी जाती है, उस जगह डॉक्टर नब्ज चेक करके रोग का पता लगाते हैं। मौली बाँधने से कलाई पर दबाव पड़ता है, जिस वजह से तीन दोष, वात, पित्त और कफ नियंत्रित रहता है।
*- मौली का अर्थ होता है सबसे ऊपर और इसका अर्थ सर भी होता है। भगवान् शिव के सर पर चन्द्रमा विराजित है, इस वजह से भगवान शिव को चंद्रमौली भी कहा जाता है।
*- मौली बाँधने की प्रथा आज से नहीं बल्कि उस समय से चली आ रही है जब से दानवीर राजा बलि को वामन अवतार ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बाँधा था।
*- मौली बाँधने के भी नियम होते हैं। पुरुषों के दायें तथा महिलाओं के बाएं हाथ में मौली बाँधी जाती है।