कृष्ण का पसंदीदा अंक 8 आपके लिए भी है ख़ास, जानिए कैसे
हिन्दू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को सबसे उत्तम भगवानों में से एक माना जाता है. मथुरा और गोकुल के कृष्ण बचपन से ही काफी नटखट और बलवान थे. उनकी बांसुरी की धुन इतनी आकर्षक थी कि कोई भी उनकी और खिंचा चला जाए. शायद इसीलिए राधा जैसी कईं गोपियां भगवान कृष्ण पर अपनी जान छिड़कती थी. आज भी भगवान श्रीकृष्ण को राधा के नाम के साथ ही याद किया जाता है. हालाँकि, भगवान की 8 पत्नियाँ थी. परंतु उसके बावजूद भी राधा का उनके जीवन में ख़ास स्थान रहा है. भगवान श्रीकृष्ण इस संसार में अवतारित होकर हम इंसानों को सही मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाते हैं.
भगवान श्री कृष्ण के नाम के तीन अक्षर(कृष+ण+अ) मुख्य हैं और सबके ही अपने अलग अर्थ हैं. इसमें “कृष” का अर्थ है उत्कृष्ट, जबकि “ण” का अर्थ है भक्ति और “अ” का अर्थ है देने वाला. यानि भगवान कृष्ण हम सबमे उत्कृष्ट भक्ति को जगाते हैं. पुराणों की माने तो भगवान कृष्ण के नाम के “कृष” का अर्थ परम आनंद है जबकि “ण” का अर्थ दास्य कर्म अर्थात सेवा है. इसलिए भगवान को परम आनंद और सेवा का अवसर देने वाला देवता माना जाता है.
इसके इलावा भगवान कृष्ण को सब पापों को दूर करने वाला यानि पिछले जन्मों में किए हुए पापों को दूर करने वाला भगवान माना जाता है. शास्त्रों की मानें तो भगवान विष्णु के हजार नामों को दोहरा कर जितना फल आपको मिलेगा, इतना अगर 3 बार भी आप भगवान कृष्ण का नाम जप लें तो आपके लिए काफी होगा. यू मान लीजिए कि भगवान श्रीकृष्ण का नाम बाकी भगवानों के नाम से काफी बड़ा है. जो भी व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण के नाम का उच्चारण करता है उसके सारे पाप भस्म हो जाते हैं.
श्री कृष्ण के तत्व को दर्शाने का काम भागवत का मुख्य उद्देश्य है. इसके इलावा भगवान को विष्णु का अवतार भी माना जाता है. इसलिए भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी को काफी मुख्य भूमिका दी जाती है. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र से युक्त होकर धरती पर अवतरित हुए थे. इसलिए 8 अंक को भगवान श्री कृष्ण का पसंदीदा अंक माना जाता है. भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार से पहले सात रूप थे जबकि कृष्णावतार के बाद विष्णु के 10 अवतारों में से आठवां रूप कृष्ण का है. इसके इलावा आपको हम बता दें कि भगवान श्री कृष्ण देवकी और वसुदेव की भी आठवीं संतान थे.
इसके इलावा कृष्ण की सबसे प्रिय भक्त राधा का जन्म भी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी वाले दिन ही हुआ था. 8 तिथि को जन्मे के कारण ही शायद उनका कृष्ण के प्रति लगाव था. आपको हम बता दें कि कृष्ण ने संकल्प लिया था कि वह लोगों की रक्षा और दुष्टों के नाश के लिए हर युग में जन्म लेंगे. भगवान श्री कृष्ण के इस कथन को भी भागवत के आठवें श्लोक के रूप में दर्शाया गया है.
आपने दुनिया के सात अजूबों के बारे में तो सुना ही होगा. जब भी कोई चीज सात वें स्तर तक पहुंचती है तो उसको उस पदार्थ की चरम सीमा माना जाता है. ऐसे में अगर वह पदार्थ 8 वें स्तर पर पहुंच जाए तो उसको पारब्रह्म माना जाता है. शायद इसीलिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जन्म तिथि के लिए अष्टमी को चुना. उसके बाद सही अष्टांग योग और अष्टांग नमस्कार को लोगों ने अपनाना शुरू कर दिया.
कृष्ण के गुणों को सबसे उत्तम पुरुष के गुण माना जाता है. ऋषि वेदव्यास भी उन 64 गुणों का वर्णन करते हैं जिनकी संख्या 8 से 8 का गुणनफल ही है. इसके इलावा पत्नियों के रुप में भी भगवान श्रीकृष्ण ने आठ अंक को मुख्य रखते हुए उनसे विवाह किया. इसलिए 8 अंक को श्री कृष्ण के अलावा आम इंसानों के लिए भी सबसे आठ अंक माना जाता है. यूं कह लीजिए कि 8 अंक में स्वयं श्री कृष्ण भगवान विराजमान रहते हैं.