लड़कियां दर्द से चिल्ला रही थी, चींखे सुनकर सबके होश उड़ गए
जयपुर: कहते हैं मृत्यु कभी बता कर नहीं आती, ये कभी भी इंसान को आ घेरती हैं. कुछ ऐसा ही दर्दनाक मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ, एक हस्ते खेलते परिवार की खुशियों को किसी की नज़र लग गई.जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि हर इंसान रात को सपने देखने के लिए सोता है लेकिन जब इंसान के सपने अधूरे रह जाएं तो उससे बदकिस्मत दूसरा कोई और नहीं हो सकता. जयपुर शहर में बीते दिन कुछ ऐसी ही घटना सामने आई है. जहाँ एक परिवार की चार बेटियां और उनके दादा की चींख पुकार ने सबका दिल दहला दिया. बेहरहाल, चलिए जानते हैं आखिर ये पूरा मामला क्या था…
दरअसल, ये पूरा मामला विद्याधर नगर सेक्टर 9 में रहने वाले संजीव गर्ग का है. जहाँ बीते शनिवार की सुबह 4 बजे महेन्द्र गर्ग, बेटी अपूर्वा(23), अर्पिता(21), बेटा अनिमेश(17) और साले के बेटा शौर्य(20) की मौत हो गई. जानकारी के अनुसार इन सब की मृत्यु घर में हुए शार्ट सर्किट से लगी आग के कारण हुई. पड़ोसियों के अनुसार शौर्य दो दिन पहले ही परिवार के साथ मकर संक्रांति मनाने के लिए आया था. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. शॉर्ट सर्किट से लगी आग के आतंक ने इस घर में चार जवान और एक बुजुर्ग की जिंदगी को जला डाला. एक पड़ोसी के मुताबिक उसने छत के दरवाजे को तोड़ अंदर आने की कोशिश की, लेकिन लाेहे का दरवाजा नहीं टूटा.
मिली जानकारी के अनुसार मृतक परिवार के नज़दीक रहने वाले परिवार के लोकेश कुमार ने बताया कि सुबह सुबह संजीव गर्ग के घर से रोने और चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी. जब लोकेश वहां पहुंचा तो गर्ग परिवार “बचाओ बचाओ! आग लग गई” कह कर चिल्ला रहा था. लेकिन, आग की लपटें तेज़ होने से चरों तरफ धुआँ ही धुआं फैला था. जिसके कारण गर्ग परिवार किसी को नज़र नहीं आ पाया और कोई भी उनकी मदद के लिए आगे बढ़ने में असमर्थ रहा.
मिली जानकारी के अनुसार पड़ोसी अभिषेक ने बताया कि लड़कियों की दर्द भरी आवाजों के बाद अचानक तेज आवाज में सायरन बजने लगा. सायरन के बाद पूरे गली मोहल्ले वाले घर से बाहर निकल आए लेकिन गर्ग परिवार के घर का माहौल देखकर सबकी आंखें नम रह गई. अभिषेक ने बताया कि उसने मदद के लिए अनिमेष अपूर्व और अर्पिता को फोन किया लेकिन किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया. पड़ोसियों ने बताया कि जब वह घर में घुसे तो दरवाजे बंद थे जिसके बाद उन्होंने घर की खिड़कियों के सारे शीशे तोड़ दिए. परंतु आग की लपटें इतनी तेज थी कि सब वहां बेबस खड़े तमाशा देखने को मजबूर थे.
अनिमेश, अर्पिता और अपूर्वा
अंबाबाड़ी में रहने वाले संजीव के दोस्त कमलेश की बेटी कृतिका ने बताया कि सुबह संजीव का उसके पापा को फोन आया और वह पापा को बोले कि उनके घर में आग लग गई है जल्दी से जाकर वह बच्चों को बचा लें. परंतु जब तक कमलेश वहां पहुंचे तब तक काफी देर हो चुकी थी और आग पूरे घर में लग चुकी थी.
मौके पर मौजूद पड़ोसियों ने बताया कि 5 से 7 मिनट तक दादा और पोतियां मदद के लिए रोते और चिल्लाते रहे लेकिन उनकी मदद कोई नहीं कर पाया. जब आग खत्म हुई तो लोगों ने फर्स्ट फ्लोर से अनिमेश और शौर्य को रस्सी से नीचे उतार के अस्पताल ले जाया. परंतु तब तक दोनों की दम घुटने से मौत हो चुकी थी.