अध्यात्म

महाभारत युद्ध के मैदान में अगर आ जाता यह महायोद्धा तो मारे जाते सभी कौरव और पांडव, जानें कौन?

सभी लोग महाभारत की कहानी से परिचित हैं। उस धर्म युद्ध में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ था। पांडवों की तरफ से भगवान श्रीकृष्ण खड़े थे। इसी वजह से महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी। कृष्ण की रणनीति की वजह से ही कम सेना होने के बाद भी पांडवों ने कौरवों को हरा दिया। कम ही लोग इस बारे में जानते हैं कि उस समय एक ऐसा भी योद्धा था जो अगर युद्ध के मैदान में आ जाता तो सभी कौरव और पांडव मारे जाते। वो योद्धा अकेला ही युद्ध के मैदान में जीवित बचता।

उस महान योद्धा के पास भगवान शिव का वरदान था। लेकिन कृष्ण ने उस योद्धा को युद्ध में आने से मना कर दिया था। आज हम आपको उस योद्धा के बारे में और उसकी शक्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं। वह वीर योद्धा कोई और नहीं बल्कि बलशाली भीम के पुत्र घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था। बर्बरीक के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत शक्तिशाली और पराक्रमी था। एक बार अपने कठोर ताप से बर्बरीक ने भगवान शिव को प्रसन्न करके तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे। इसके साथ ही अग्नि देव से उसनें एक दिव्य धनुष भी प्राप्त किया था।

बर्बरीक ने युद्ध की कला अपनी माँ से सीखी थी। बर्बरीक ने कमजोर पक्ष की तरफ से ही युद्ध करने का अपनी माँ को वचन दिया था। यही वजह थी कि श्रीकृष्ण नहीं चाहते थे कि बर्बरीक युद्ध में भाग ले। पहले तो युद्ध में बर्बरीक पांडवों का साथ देता लेकिन कौरवों का पक्ष कजोर होता देख कौरवों का साथ देने लगता। जब वह पांडवों को अपने पराक्रम से कमजोर कर देता तो फिर से उनकी तरफ आ जाता। ऐसे करके वह युद्ध में भाग लेने वाले दोनों पक्षों के लोगों को मार देता और युद्ध में वह अकेला ही जीवित बच जाता।

युद्ध में पांडवों को विजयी बनाने के लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसके सिर का दान माँग लिटा था। अपना सिर देने के बदले में बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से पूरा युद्ध देखने के लिए दिव्य आँख की माँग की। इसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के सिर को एक ऊँचे पहाड़ पर रख देते हैं, जहाँ से वह बिना शरीर के ही पूरे युद्ध को देखता है। श्रीकृष्ण बर्बरीक की योगता के बारे में जानते थे, और उसकी परीक्षा लेने के लिए बर्बरीक को उसके तीनों बाणों का महत्व बताने के लिए कहा। पहले बाण की विशेषता बताते हुए बर्बरीक ने कहा कि जिसे मैं ख़त्म करना चाहता हूँ, यह बाण उन सभी चीजों पर निशाना लगा देता है।

दूसरा बाण उन सभी चीज पर निशाना लगाता है, जिसे मैं बचाना चाहता हूँ। आख़िरी बाण पहले से निशान लगाई हुई सभी वस्तुओं का विनाश कर देता है। आखिर में तीनों बाण अपना काम करके मेरे पास लौट आयेंगे। महाभारत के युद्ध की शुरुआत में श्रीकृष्ण से सभी योद्धाओं से यह पूछा था कि वह अपने दम पर इस युद्ध को कितने दिन में ख़त्म कर सकते हैं। सभी योद्धाओं ने अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार बताया। भीष्म पितामह ने 20 दिन, द्रोणाचार्य ने 25 दिन, कर्ण ने 24 दिन, अर्जुन ने 28 दिन में अकेले युद्ध समाप्त करने की बात कही।

जब यही सवाल श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से किया तो उसका उत्तर हैरान करने वाला था। उसने कहा कि वह एक ही क्षण में इस युद्ध को ख़त्म कर देगा। बर्बरीक की यह बात सुनने के बाद श्रीकृष्ण ने उसे अपने बाणों का प्रयोग करके दिखाने के लिए कहा। बर्बरीक की योग्यता का पता लगाने के लिए श्रीकृष्ण ने उसे एक पेड़ के सभी पत्तों को एक ही तीर से छेदने की बात की। एक पत्ते को श्रीकृष्ण ने अपने पैरों ने नीचे रख लिया। बर्बरीक ने एक ही बाण से पेड़ के सभी पत्तों के साथ श्रीकृष्ण के पैर के निचे दबे पत्ते को भी छेद दिया। बर्बरीक के दान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने उसे कलयुग में खाटुश्याम नाम से पूजित होने का वरदान दिया।

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