अध्यात्म

मकर संक्रांति के दिन ये एक गलती भूलकर भी न करें, वरना शुरू हो जायेगा बुरा समय

इस बार मकर संक्रांति का पर्व रविवार को पड़ रहा है. मकर संक्रांति का ये पर्व सूर्य देव को समर्पित होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया जाता है. ज्योतिष में कुल 9 ग्रह होते हैं और सूर्य को इन सबका राजा माना जाता है. मकर संक्रांति उस वक़्त मनाई जाती है जब सूर्य का प्रवेश धनु राशि के मकर राशि में होता है. 14 जनवरी के बाद सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. मकर संक्रांति को लेकर पंचांग भेद सामने आ गए हैं. कुछ पंचांगों में बताया गया है कि सूर्य अपना राशि परिवर्तन 14 जनवरी के दिन दोपहर 2 बजे के बाद करेगा, जबकि कुछ पंचांगों की मानें तो रात के 8 बजे के बाद सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होगा. इस दिन सूर्य उत्तरायण के साथ सर्वार्थ सिद्धि और पारिजात योग भी बन रहा है. इन योगों को शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

इस समय सूर्य धनु राशि में बैठा हुआ है जिस वजह से सभी शुभ काम रुके हुए हैं. लेकिन जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. मकर संक्रांति के दिन से खरमास समाप्त हो जायेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग रविवार की दोपहर से शुरू हो जाएगा. यह योग शुरू होते ही सभी मांगलिक कार्य किये जा सकेंगे. शास्त्रों की मानें तो उत्तरायण का समय देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात माना जाता है. इस तरह मकर संक्राति देवताओं की सुबह कही जाती है.

मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन नदी स्नान, हवन, श्राद्ध, मंत्र जाप तथा पूजा-पाठ आदि का अपना एक अलग महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह उसका सौ गुना ज्यादा फल प्राप्त करता है. कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन घी, तिल, कंबल, खिचड़ी आदि का दान करना शुभ होता है.

मकर संक्राति के दिन व्यक्ति को देर तक सोने की गलती नहीं करनी चाहिए. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिए. इस दिन सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें. कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति देर तक सोता है उसे सूर्य के प्रभाव के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा करने से कुंडली में सूर्य के दोष बढ़ने लगते हैं और बुरा समय निकट आने लगता है. सूर्य देवता की पूजा करने के लिए सुबह के समय को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. उनकी विशेष कृपा पाने के लिए सूर्योदय के समय उन्हें जल अर्पित करें.

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