सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय ध्यान रखें इन महत्वपूर्ण नियमों का, बचे रहेंगे हर प्रकार के संकट से
पृथ्वी वासियों के लिए सूर्य कितने महत्वपूर्ण हैं, इसके बारे में किसी को कुछ बताने की जरुरत नहीं है। बिना सूर्य के इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अगर सूर्य नहीं होते तो मानव जाती का नामों-निशान भी नहीं होता। केवल मानव जाती है नहीं बल्कि जीवन की भी सम्भावना नहीं होती। हिन्दू धर्म में ज्यादातर ऐसी चीजों को पूजा जाता है जिनसे जीवन प्राप्त होता है। नदियों, धरती, जंगल और सूर्य की पूजा की जाती है। ये सभी ही जीवन का श्रोत हैं। अगर सूर्य के धार्मिक महत्व की बात करें तो सूर्यदेव को स्वास्थ्य का देवता माना गया है।
इनकी उपासना करने से व्यक्ति निरोगी रहता है। वेदों में कुछ प्रत्यक्ष देवी-देवताओं के बारे में बताया गया है। कलयुग में प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव ही हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव को आत्मा का करक माना गया है। अर्थात मनुष्य की आत्मा सूर्य है। यही वजह है कि उर्जा और सकारात्मकता बढ़ाने के लिए सूर्यदेव की पूजा की जाती है। जो लोग प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्ध्य देते हैं, उनके अन्दर नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। व्यक्ति के बल, तेज, पराक्रम, मन-सम्मान और उत्साह में भी वृद्धि होती है। सूर्यदेव को जल चढ़ाने के कुछ ख़ास नियम बताये गए हैं, जिसका पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए।
सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय रखें इन बातों का ध्यान:
*- स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले किसी आसन पर खड़े हो जाएँ।
*- आसन पर खड़े होने के पश्चात् किसी तांबे के पात्र में जल भरें और उसमें मिश्री भी मिला लें। जिन लोगों को मंगल दोष होता है, उन्हें सूर्यदेव को मीठा जल चढ़ाना चाहिए।
*- ऐसा भी माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य की किरणे किसी औषधि से कम नहीं होती हैं। इसलिए सूर्यदेव को जल चढ़ाने से पहले लगभग 5 मिनट तक उन्हें सीधे खड़े होकर उनकी तरफ देखें।
*- इसके पश्चात् सूर्यदेव को धीरे-धीरे जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सूर्यदेव को चढ़ाया जाने वाला जल आपके पैरों से स्पर्श ना हो।
*- ऐसा माना जाता है कि अगर सूर्यदेव को चढ़ाया जगा जल धरती से छू जाता है तो उसका फल नहीं मिलता है। इसलिए नीचे को पात्र रखकर ही सूर्यदेव को जल चढ़ाएँ।
*- सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये इस मंत्र का जाप करें।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा:।।
*- सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय पात्र में थोड़ा जल बचा लें और उसे अपने सीधे हाथ में लेकर अपने चारो तरफ भगवान का नाम लेते हुए छिडक दें।
*- सूर्यदेव को जल चढ़ाने के बाद अपने स्थान पर खड़े-खड़े ही तीन बार परिक्रमा करें। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से अच्छा माना जाता है।
*- सूर्यदेव को जल चढ़ाने के बाद आसन उठा लें और उस जगह को नमन करें जहाँ आपने खड़े होकर सूर्यदेव को जल चढ़ाया है।
*- जल चढ़ाते समय जिस जल को आपने किसी पात्र में एकत्रित किया है, उस जल को किसी गमले में डाल दें।
जो लोग सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय इन बातों का ध्यान रखते हैं, उन्हें जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है और हर प्रकार के संकट से बचे रहते हैं।