ये है भारत के पहले ‘गे’ राजा, शादी के बाद पता चली थी इन्हें अपनी सच्चाई!
सूरत: इस बात में कोई दो राय नही है कि हमारे भारत देश में भी धीरे धीरे पश्चिमी सभ्यता निवास कर रही है. औरत और मर्द के बीच शारीरक संबंध होना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन, आज के इस समय में समलैंगिकता लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है. दुनिया में बहुत सारे मर्द औरतों में दिलचस्पी नहीं रखते. ऐसे में समलैंगिकता एक कानूनी अपराध है या नही? इस बात को कोई नहीं समझ पाया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दो व्यक्तियों के बीच में सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानने की मांग की गई है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. ऐसे में आज हम आपको समलैंगिकता से जुडी एक ऐसे भारतीय राजकुमार की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने स्वयं अपने “गे” होने की बात को स्वीकार किया था.
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि यह राजकुमार गुजरात के नर्मदा जिले में पैदा हुए थे. राजकुमार मानवेंद्र का नाम को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचाना जाने लगा है. मानवेंद्र पहले ऐसे भारतीय राजकुमार गे हैं जिन्होंने खुद को सबके सामने गे स्वीकार कर लिया था. तभी से वह भारत में रह रहे बाकी अन्य गे लोगों की मदद के लिए कुछ ना कुछ कदम उठाते ही रहते हैं. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि मानवेंद्र ने राजपीपला यानी गुजरात के नर्मदा जिले के नगर में समलैंगिकों के लिए वृद्धाश्रम भी स्थापित किया है. हैरानी की बात यह है कि मानवेंद्र ने इस वृद्ध आश्रम का नाम अमेरिकन लेखिका “जेनेट” पर रखा है. इसके इलावा हम आपको बता दें कि यह एशिया का पहला गे आश्रम है.
मिली जानकारी के अनुसार 23 सितंबर साल 1965 को महाराजा रघुबीर सिंह जी राजेंद्र सिंह जी के घर में एक संतान का जन्म हुआ. दरअसल, राजस्थान के अजमेर शहर में जन्मे इस बच्चे का नाम मानवेंद्र रखा गया था. बाकी बच्चों की तरह मानवेंद्र का बचपन भी आम बच्चों की तरह ही बीता. इसके साथ ही मानवेंद्र ने मुंबई स्कॉटिश स्कूल और अमृत बेन जीवन लाल कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स, मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी की. जानकारी के अनुसार साल 1991 में मानवेंद्र का ब्याह मध्यप्रदेश के झाबुआ की रहने वाली चंद्रेश कुमारी से किया गया. अपने विवाह के 1 साल के बाद ही इनकी जिंदगी में तूफान आ गया और 1992 में ही दोनों अलग हो गए. मानवेंद्र की चंद्रेश से शादी टूटने का सबसे बड़ा कारण उनका समलैंगिक होना बताया गया था.
एक रिपोर्ट के अनुसार मानवेंद्र सिंह द्वारा स्थापित किए गए गे वृद्धाश्रम के लिए अमेरिकन लेखिका जेनेट ने उन्हें सबसे अधिक दान की रकम दी थी. जेनेट के दान के बाद सब लोग उन्हें भी गे की नजरों से देखने लग गए थे. जिसके बाद मानवेंद्र ने बताया कि जेनेट समलैंगिक नहीं है परंतु फिर भी उन्होंने आश्रम के लिए सबसे अधिक योगदान दिया. जेनेट के सबसे अधिक धान के चलते ही आश्रम का नाम उनके नाम पर रखना मनेंद्र में उचित समझा.
मानवेंद्र ने बताया कि उन्हें के आश्रम बनाने का आइडिया साल 2009 में ही आ गया तभी सेवा इसको बनाने की कोशिश में जुट गए थे. आश्रम के संपूर्ण होने के बाद इसका उद्घाटन अमेरिकन लेखिका जेनेट की बहन कार्लाफाइन से करवाया गया जो की विशेष तौर पर अमेरिका से भारत आई थी. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस आश्रम में करीबन 50 से अधिक गे लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है साथ ही उनके मनोरंजन के लिए स्विमिंग पूल भी बनवाया गया है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस गे वृद्धाश्रम को लगभग 15 एकड़ की जमीन में बनाया जा रहा है जिसमें 25 से 30 कमरे बनेंगे. हालांकि अभी इस वृद्धाश्रम में केवल 3 से 4 ही रूम है परंतु, आने वाले कुछ ही समय में ये संख्या बढ़ाकर 30 कर दी जाएगी.