पाकिस्तान पड़ा अलग-थलग, भारत के बाद तीन और देशों ने किया सार्क सम्मेलन में भाग लेने से इंकार
नई दिल्ली: इस्लामाबाद में नवंबर में होने जा रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) शिखर सम्मेलन में भारत के भाग नहीं लेने के फैसले को पड़ोसी देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान से समर्थन मिला है, और सूत्रों के मुताबिक इन देशों ने भी सम्मेलन में शिरकत नहीं करने का निर्णय किया है। India refused to attend SAARC summit.
बांग्लादेश ने क्या कहा ?
सार्क सम्मेलन के सिलसिले में बांग्लादेश ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उनका देश हमेशा से आगे रहा है। दक्षिण एशिया की तरक्की के लिए संबंधित देशों का एक साथ होना जरूरी है। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह की घटनाएं घटी हैं, उस माहौल में हम किसी सार्थक परिणाम की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
भूटान के क्या कहा ? –
भूटान ने कहा कि हाल के दिनों में आतंकी हमले से बातचीत के माहौल पर बुरा असर पड़ा है। इस तरह के हमलों के बाद किसी सार्थक परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सार्क सम्मेलन के सफल होने के लिए जरूरी है कि दक्षिण एशिया में शांति और सद्भाव का माहौल हो।
अफगानिस्तान ने क्या कहा ?-
अफगानिस्तान ने कहा कि दक्षिण एशिया में जिस तरह का माहौल बना हुआ है उसमें सार्क सम्मेलन की सार्थकता बेमानी होगी। अफगानिस्तान ने सार्क देशों के चेयरमैन नेपाल को सूचित किया है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी व्यस्त रहने की वजह से सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
MFN पर कल होगी समीक्षा बैठक –
इस पर विचार के लिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार यानी 29 सितंबर को विशेष बैठक बुलाई है। सिंधु जल संधि की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री का यह एक और कड़ा संदेश है। भारत ने 1996 में ही पाकिस्तान को यह दर्जा दिया था। दोतरफा कारोबारी रिश्ते को मजबूती देने के लिए भारत तभी से पाकिस्तान से भी इस तरह के दर्जे की मांग कर रहा था लेकिन उसने यह दर्जा नहीं दिया। उड़ी हमले के बाद भारत में इसे रद करने की मांग बढ़ती जा रही है।
पाक ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया –
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। उसने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्वीट से हमें भारत के फैसले की जानकारी मिली। इस संबंध में हमें आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
फैसला किया, पर दिया नहीं दर्जा –
एमएफएन का दर्जा विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक एक देश दूसरे को देते हैं ताकि उनके बीच कारोबारी रिश्ते को आसान किया जा सके। पाकिस्तान ने दिसंबर, 2012 में भारत को यह दर्जा देने का फैसला कर लिया था लेकिन बाद में इसे लागू नहीं किया गया। अगर एमएफएन को वापस लिया जाता है तो यह दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और तनावग्रस्त कर देगा।