जलियावालाबाग कांड वाले जनरल डॉयर की बनाई शराब तो नहीं पी रहे हैं आप, जानिए कैसे
जलियांवाला कांड तो सभी को याद होगा। देश के लिए आजादी के लिए लड़ने वाले निर्दोंष आंदोलनकारियों पर गोली चलाने वाला जनरल डॉयर भी सभी को याद होगा। जिसको एक सरदार ने इंग्लैंड में जाकर उसको मारा था। कुछ साल बाद अंग्रेज चले गए। लेकिन अंग्रेजों के लिए एक बात हमेशा से कही जाती रही है, कि अंग्रेज चले गए, लेकिन चाय छोड़ गए। लेकिन क्या आपको पता है, अंग्रेजों ने एक और चीज भारत में छोड़ी वो है ‘शराब’ जिसका गुलाम आज भी देश है, और तमाम घर बर्बाद हो रहे हैं। शराब के रूप में जनरल डॉयर जिंदा है, और देश को खोखला कर रहा है।
शराब के शौकीन ओल्ड मोंक रम को तो जानते ही होंगे। कई बार पी भी होगी लेकिन क्या किसी को पता है, ओल्ड मोंक रम को बनाने वाला कौन था, और जनरल डायर से उसका क्या कनेक्शन है। तो आपको बता दें, जनरल डायर के पिता एडवर्ड डायर ने 1855 में हिमाचल की खूबसूरत वादियों में अंग्रेज गवर्नरों के लिए शराब की फैक्ट्री लगाई। हिमाचल के कसौली में इस प्लान्ट को लगाने के बाद उसकी दूसरी फैक्ट्री गाजियाबाद में लगाई। जिसे आज लोग मोहन नगर के नाम से जानते हैं। एडवर्ड डायर ने वर्ष 1855 में कसौली में एक ब्रेवरी लगाई थी। कुछ वर्षों बाद एक दूसरे व्यवसाई एचजी मीकिन ने मीकिन एंड को. लिमिटेड की स्थापना की थी। उन्होंने शिमला और कसौली में स्थित ब्रेवरीज को खरीद लिया था। इसके अलावा डलहौजी, रानीखेत, चकराता, दार्जीलिंग और किर्की में नया प्लांयट भी लगाया था। बाद में दोनों कंपनियों ने हाथ मिला लिया और डायर मीकिन एंड को. लिमिटेड के नाम से शराब का व्यवसाय शुरू कर दिया था। साल 1935 में भारत से बर्मा के अलग होने के बाद भारत स्थित कंपनी का नाम डायर मीकिन ब्रेवरीज लिमिटेड कर दिया गया था। इसके बाद साल 1966 में यह कंपनी मोहन मीकिन ब्रेवरीज लिमिटेड के नाम से बाजार में आई। वर्ष 1980 में इसका नाम एक बार फिर से बदला गया जो आज भी मोहन मीकिन लिमिटेड के नाम से जानी जाती है।
एडवर्ड डायर की ये कंपनी बाद में देश के एनएन मोहन और उनके भाई वीआर मोहन ने खरीद ली थी। जिसको बाद में कपिल मोहन ने आगे बढ़ाया। ‘ओल्ड मंक’ एक समय में देश ही नहीं विदेश में भी सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड बन गया। ‘ओल्ड मंक’ को 19 दिसंबर, 1954 को लांच किया गया था। कपिल मोहन के कमान संभालने के बाद ओल्ड मंक रम भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया था। साथ ही कंपनी ने तीन नई डिस्टिलरी और दो ब्रेवरीज स्थापित करने के अलावा भारत के विभिन्ना हिस्सों में फ्रेंचायजी का विस्तार किया। आज मोहन मिकिन नाम से कई प्रतिष्ठान चल रहे हैं। जिनका सालाना टर्नओवर चार सौ करोड़ से ऊपर का है। एक वक्त ऐसा भी आया जब मोहन मिकिन के बारे में बिकने की ख़बर उड़ने लगी लेकिन कपिल मोहन ने आगे आकर कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला।
इस दौरान रम को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाने वाले पद्मश्री ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) करपिल मोहन का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।व्यवसायिक के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए कपिल को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।