जानिये क्यूँ की थी श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना
रामेश्वरम ( Rameswaram Shiv linga)का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा. चार धामो में से एक रामेश्वरम की महिमा के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है. शास्त्रों के अनुसार रामेश्वरम को पाप मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ धाम बताया गया है. आज हम आपको रूबरू कराएँगे इस धाम के कुछ ऐसे रहस्यों से जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा.
भगवान राम ये जानते थे कि रावण शिव जी का परम भक्त है (Rameswaram Shiv Linga)
रामेश्वरम धाम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. यहाँ स्थापित शिवलिंग की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक में होती है. रामायण के अनुसार भगवान राम ये जानते थे कि रावण शिव जी का परम भक्त है और उन्हें प्रसन्न किये बिना रावण से युद्ध नहीं जीता जा सकता अतः भगवान राम ने समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापित करके भगवन शिव की आराधना की. आज यही धाम रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है.
इस मंदिर में कुल 24 मीठे जल के कुए है कहा जाता है इनका निर्माण भगवान राम ने अपने बाड़ो से किया था, अब इनमे से दो सुख चुके है पर बाकि अभी भी मौजूद हैं. कहते है इसके जल से स्नान करने से जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं. यहाँ की महिमा अपरम्पार है, जो भी व्यक्ति यहाँ पुरी श्रद्धा से आता है उसके सारे कष्टों का अंत हो जाता है.
युद्ध के बाद राम जी ने यहाँ शिवलिंग स्थापित करना चाही जिसके लिए हनुमान जी को कैलाश पर्वत भेजा गया. उन्हें आने में देरी हो रही थी जिसके कारण माता सीता ने वहा रेत के शिवलिंग की स्थापना की ये देखकर हनुमान जी काफी दुःख हुआ. क्यूंकि हनुमान जी बहुत दूर से शिवलिंग ले के आये थे इसलिए प्रभु श्रीराम ने हमुमान जी से रेत का शिवलिंग हटा कर नया शिवलिंग स्थापित करने को कहा पर काफी प्रयास के बाद भी हनुमान जी वो शिवलिंग वहां से हटा नहीं पाए. उन्हें जल्द ही अपनी गलती का एहसास हो गया. इस धाम की महत्ता का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया हैं.