बैंक की नौकरी करने वाले मुस्लिम लड़कों का नहीं होगा निकाह, इस वजह से रह जाएंगे कुंवारे
देश में लोग सरकारी नौकरी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। पैसा जमीन बेचने के लिए तैयार हैं। सरकारी नौकरी करने वाले लड़की की शादी के लिए जितनी डिमांड है शायद ही किसी की हो, सरकारी नौकरी करने वाले लड़कों को मुंह मांगा दहेज भी देने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ मुस्लिम लड़के सरकारी नौकरी पाने के बाद भी कुंवारे रह जाएंगे। क्योंकि देश के सबसे बड़े मुस्लिम इदारे और इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने एक फतवे में बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने को कहा है।
दरअसल इस्लाम को मानने वाले लोगों को अगर शरीयत के कानून और उसके बारे में कुछ जानकारी चाहिए तो उसके लिए वो दारुल उलूम की तरफ रुख करते हैं। दारुल उलूम उसका माकूल जवाब देता है। बीते दिनों इसी तरह का मामला सामने आया जहां देवबंद के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ ने यह फतवा एक व्यक्ति द्वारा पूछे गये सवाल पर दिया है। शख्स ने पूछा था कि शादी के लिये कुछ ऐसे घरों से रिश्ते आये हैं, जिनकी पूरी जानकारी दारुल उलूम को भेजी थी। जिसके बाद दारुम उलूम ने कहा कि जहां लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं। ऐसे घरों में शादी करने से बचना चाहिए क्योंकि बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से सूद (ब्याज) पर आधारित है। जो कि इस्लाम में हराम माना जाता है। इस स्थिति में क्या ऐसे घर में शादी करना दुरुस्त होगा? इस सवाल के जवाब में देवबंद से जवाब गया की। ऐसे परिवार में शादी से परहेज किया जाए। हराम की दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सामाजिक और संस्कारिक नहीं होते। ऐसे में इन घरों में रिश्ता करने से परहेज करना चाहिये। कुल मिलाकर बैंक में अगर कोई लड़का काम करता है। तो उसके साथ भी शादी करना हराम है क्योंकि इस वो भी ब्याज पर ही आधारित है। ऐसे में बैंक में काम करने वाले लड़कों के लिए शादी करना आसान नहीं होने वाला।
शरीयत को मानने वाले दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं। फतवा में इस बात का भी जिक्र किया गया।
हाल ही में देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं का डिजाइनर बुर्का पहनने को लेकर भी फतवा जारी किया है। फतवा के मुताबिक चुस्त बुर्के या कपड़े पहनना नाजायज है। फतवा सहारनपुर जिले के इस्लामिक इदारा दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया है। फतवा के मुताबिक डिजाइनर बुर्का या लिबास पहनकर महिलाओं का घर के बाहर निकलना जायज नहीं है। दरअसल देवबंद के एक व्यक्ति ने दारूल उलूम से सवाल पूछा था कि मुस्लिम औरतों को क्या चुस्त और आकर्षक बुर्का पहनना चाहिए।
इस पर देवबंद ने लंबे विचार के बाद मुफ्तियों की चार सदस्यीय पीठ गठित की। और जवाब दिया कि मुस्लिम औरतों को बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए, घर से बाहर जाते वक्त ढीले-ढाले कपड़े पहनें। चुस्त, तंग और आकर्षक बुर्का पहनकर निकलना ठीक नहीं है।
पीठ ने कहा कि हजरत पैगम्बर साहब ने फरमाया था कि औरतों को बिना जरूरत के घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहिए। मुफ्तियों के मुताबिक डिजाइनर और तंग लिबास में जब औरतें घर से बाहर निकलती हैं तो शैतान उन्हें घूरता है।