रुस कर रहा है पाक के साथ युद्ध अभ्यास, कही ये भारत के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं!
जैसा कि कुछ दिन पहले खबर आई थी कि रूस पाकिस्तान के साथ संयुक्त रूप से सैन्य अभ्यास कर रहा है। रूस के इस फैसले से भारत खुश नहीं है। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में कहा है कि भारत को इस रूस पाक युद्ध अभ्यास (PAK – Russia’s war practice ) से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये रूस पाक युद्ध अभ्यास किसी विवादित क्षेत्र यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नहीं होगा और इसके स्थल के बारे में भारत को जानकारी दे दी गई है। लेकिन वाबवजूद इसके रूस पाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं आखिर रूस की एकाएक पाकिस्तान में दिलचस्पी इतनी क्यों बढ़ गई है। रूस अपने पुराने मित्र देश भारत की चिंताओं की अनदेखी कर पाक से दोस्ती की पींगे क्यों बढ़ा रहा है।
संयुक्त सैन्य अभ्यास के पीछे यह सकमद तो नहीं (PAK – Russia’s war practice ) –
एबटाबाद में 2011 में अमेरिकी सेना के एक अभियान में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से पाकिस्तान के रिश्ते अमेरिका से खराब हुए हैं। वहीं अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हुए हैं। हाल में पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने के समझौते को भी अमेरिकी सांसदों ने रोक दिया। ऐसे में पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति से जुड़े विकल्पों को नए सिरे से तलाशने का फैसला किया है विशेषकर सैन्य साजोसामान खरीदने के उद्देश्य से। यही कारण है कि पाकिस्तान ने अपना ध्यान चीन के अलावा रूस पर भी केंद्रित किया है।
पाकिस्तान के तीनों सेना प्रमुख कर चुके हैं रूस का दौरा (PAK – Russia’s war practice ) –
पिछले 15 महीनों में पाकिस्तान के तीनों सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख रूस का दौरा कर चुके हैं। वहीं रूस के पाक के नजदीक जाने का एक और भी कारण है। वह है आर्थिक। रूस अपने यहां से पाईपलाईन के जरिए भारत को गैस की सीधी सप्लाई करने की योजना बना रहा है। इस पाईपलाइन को पाक के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरना है। ऊर्जा सेतु नामक इस परियोजना को लेकर 13 सितम्बर को नई दिल्ली में हुई बैठक में दोनों देशों ने इसको अपनी सहमति भी दे दी है।
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पुतिन और भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के बीच गोवा में आगामी 15 अक्तूबर को होनेवाली 17वीं भारत-रूस शिखर-वार्ता में इसपर मुहर लगने की संभावना है।
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान से अमेरिका के जाने के बाद रूस चाहता है कि एक तीर से दो निशाने साधे जाए। पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाकर कूटनीति के जरिए अमेरिका को काबू में रखा जाए और पाकिस्तान के रास्ते पाईपलाइन निकालकर भारत से व्यापार को बढ़ावा भी दिया जाए।