शिव जी के इस अद्भुत मंदिर की ख़ासियत और बनाने में जो समय लगा उसके बारे में जानकर हो जायेंगे दंग
कैलाश मंदिर अपनी तरह का दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम ने 760-753 ई. में बनवाया था। यह एलोरा श्रृंखला औरंगाबाद स्थित लयण श्रृंखला में है। एलोरा की सभी 34 गुफाओं में से सबसे अद्भुत कैलाश मंदिर ही है। यह मंदिर जितना ज्यादा खुबसूरत है, उससे भी ज्यादा खुबसूरत मंदिर की कलाकारी है। इस मंदिर की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इसका निर्माण 7000 मजदूरों ने लगातार काम करके 150 सालों में किया है।
जैसा की पहले ही आपको बता चुके हैं कि एलोरा का कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित पसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह मंदिर एलोरा में 16वीं गुफा में स्थित है। कैलाश मंदिर में बहुत ही विशाल शिवलिंग है। कैलाश मंदिर का निर्माण करते समय हिमायाल के कैलाश का ध्यान रखकर ही किया गया है। इसलिए मंदिर को उसी आकार और रूप में बनाने की कोशिश की गयी है। भगवान शिव का यह दो मंजिलों वाला मंदिर पर्वत की चट्टानों को काटकर बनाया गया है।
इस मंदिर को पूरी दुनिया में इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि इसमें एक ही पत्थर से बनी हुई दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति रखी हुई है। इस मंदिर की ऊँचाई लगभग 90 फीट है। मंदिर 276 फीट लम्बा और 154 फीट चौड़ा है। इस मंदिर का निर्माण 10 पीढ़ियों ने मिलकर 150 सालों में किया। यह जानकर आपको और भी ज्यादा हैरानी होगी कि इस मंदिर में पूजा किये जानें का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है। मतलब बनाये जानें के बाद से लेकर अब तक इस मंदिर में पूजा ही नहीं की गयी। आज भी यहाँ पूजा नहीं होती और ना ही कोई पुजारी है।
मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि इसके निर्माण के लिए लगभग 40 हजार टन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। तब जाकर यह 90 फीट ऊँचा आलीशान मंदिर बन पाया है। मंदिर के आँगन में तीनों तरफ कमरे हैं और सामने खुली वाली जगह में नंदी विराजमान हैं। नंदी की दोनों तरह विशालकाय हाथी स्तंभ भी बने हैं। एलोरा की गुफा नंबर 16 यानी कैलाश मंदिर सबसे पुराना है। इसी में सबसे ज्यादा खुदाई का काम भी किया गया है। यहाँ कैलाश मंदिर में बड़ी-बड़ी और भव्य नक्काशी की गयी है। आपको बता दें कैलाश मंदिर का निर्माण विरूपाक्ष मंदिर से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान किया गया था।