इस प्रदेश में पीरिएड्स के दौरान महिलाओं को जानवरों के साथ बितानी पड़ती हैं रातें
हमारे देश में एक तरफ तो महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ सदियों से उनके साथ रिवाज के नाम पर कई सारी ज्यादतियां की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश में कुछ गांवों में महिलाओं के साथ आज भी ऐसा ही अमानवीय बरताव किया जाता है जिसे वहां की महिलाएं आज भी जीवन का दस्तूर मान सह रही है। दरअसल हम बात कर रहे हैं हिमाचल के जिला कुल्लू की, जहां की करीब 82 पंचायतों की महिलाएं मासिक धर्म के दौरान नरक सा जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां महिलाओं को मासिक धर्म होने पर घर से बाहर पशुशाला में जानवरों के साथ रातें बितानी पड़ती हैं। ऐसे में कड़कड़ाती सर्दी हो जेठ की गर्मी हर मौसम में यहां की महिलाओं को जानवरों के तबेले में रहने को मजबूर होती हैं।
21वीं सदी में जहां हर तरफ महिला सशक्तिकरण की बढ़चढ़ कर बाते हो रही हैं वहीं आज भी भारत के इस प्रदेश में महिलाएं सदियों पहले बनाई गई अजीबो गरीब रस्म को निभाने के लिए मजबूर हैं। हिमाचल के जिला कुल्लू के गांव की महिलाएं आज भी पशुओं के साथ रात बिताने को मजबूर हैं । जाहीर सी बात है आज भी इन गांवों में मासिक धर्म को एक लेकर भ्रांति फैली हुई हैं.. इसे सामान्य शारीरिक प्रक्रिया ना मानकर महिलाओं के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। खुद महिलाएं भी इसे अपने जीवन का हिस्सा मान चुकी हैं और इस परम्परा को निभाती चली रही हैं।
हालांकि अब समाज में फैली इन भ्रांतियों को दूर करने लिए कुल्लू के जिला प्रशासन ने पहल शुरू की है जिसके तहत सभी ग्राम पंचायतो की महिलाओं के स्वास्थ्य, स्वाभिमान और उत्थान के लिए कुल्लू जिला प्रशासन ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से नारी-गरिमा अभियान आरंभ करने का निर्णय लिया है। इस जागरूकता अभियान में महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता पर बल देने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण और उत्थान से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बारे में व्यापक मुहिम चलाई जाएगी। इसके लिए कुल्लू के उपायुक्त यूनुस ने व्यापाक रूप से नारी गरिमा जागरुकता अभियान का शुभारंभ किया है।
कुल्लू के उपायुक्त यूनुस का कहना है जिले के कई गांवो में महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर अभी भी कई भ्रांतियां और कुरीतियां व्याप्त हैं। यहां तक कि स्थानीय प्रशाषन के सर्वेक्षण के दौरान ये पाया गया है कि करीब 82 ग्राम पंचायतों में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कुछ बंदिशें लगाई जाती हैं साथ ही इस संबंध में समाज में कई तरह की भ्रांतियां भी फैली हैं। ऐसे में इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए और मासिक धर्म के दौरान सही देखभाल और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति महिलाओं को जागरुक करने के लिए कुल्लू जिला में व्यापक जागरुकता अभियान शुरू किया गया है।
इस अभियान के तहत जिले भर में नारी गरिमा जागरुकता शिविर लगाए जाएंगे और बड़े पैमाने पर गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्करों, हैल्थ वर्करों और विभिन्न महिला संगठनों की पदाधिकारियों के माध्यम से महिलाओं को मासिक धर्म की व्यापक जानकारी दी जाएगी।