आखिर क्यों पहला बच्चा अपने अन्य भाई बहनों की अपेक्षा होता है ज्यादा समझदार, जानें
एक शोध में यह बात सामने आयी है कि किसी भी माँ-बाप की पहली संतान उनकी अन्य संतानों से ज्यादा बुद्धिमान और सफल होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग स्कूल ऑफ एकॉनोमिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी और एनालीसिस ग्रुप की तरफ से 5000 बच्चों पर किये गए शोध के बाद यह बात सामने आयी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी वजह आनुवंशिक ना होकर पहले बच्चे के साथ माता-पिता के भावनात्मक और व्यावहारिक जुड़ाव को माना गया है। जो अगले बच्चे के साथ धीरे-धीरे कम होता जाता है। पहला बच्चा हर किसी के लिए बहुत ख़ास होता है।
उस समय किसी और बच्चे के ना होने की वजह से पूरा ध्यान उसी की तरफ देते हैं। बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव होने के साथ-साथ वह ज्यादा समय बिताते हैं और उसकी पढाई और खेल-कूद पर भी ज्यादा ध्यान देते हैं। यह बच्चों को मानसिक रूप से आगे बढ़ने में मदद करता है। जब दूसरा या तीसरा बच्चा आता है तब माता-पिता का ध्यान कई तरफ बंट गया होता है। इस वजह से वह उनपर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस वजह से अन्य बच्चों का मानसिक विकास पहले बच्चे की तुलना में कम होता है।
शोध से यह भी पता चला है कि पहला बच्चा ना केवल मानसिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि वाज जीवन में भी बहुत आगे तक जाता है। वह हर क्षेत्र में सफलता पाता है। उनका कैरियर भी अन्य बच्चों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा होता है और आर्थिक रूप से भी संपन्न होते हैं। आपको बता दे इस शोध में 14 साल से कम उम्र के 5000 बच्चों को शामिल किया गया था। इस शोध में 2 साल के भी बच्चे थे। होम मेजरमेंट ऑब्जर्वेशन के नाम से गाइडलाइन को फॉलो करते हुए प्री-बर्थ, प्रेग्नेंसी, पोस्ट-बर्थ जैसे क्राइटेरिया के अनुसार बच्चों के साथ माता-पिता के भावनात्मक जुड़ाव, उनकी आदतें और स्मोकिंग हैबिट्स को ध्यान में रखते हुए बच्चों के टेस्ट लिए गए।
शोध में शामिल ज्यादातर पहले बच्चे अपने छोटे भाई-बहनों के मुकाबले आईक्यू टेस्ट में भी बेहतर परफॉर्म किया। इसके अलावा यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिक्स की तरफ से जारी किये गए एक रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में पहले बच्चे की आर्थिक स्थिति उनके भाई-बहनों से ज्यादा अच्छी होती है। पहली संतान अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। इससे यह बात साबित होती है कि पहले बच्चे के बाद ज्यादातर माता-पिता अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाते हैं और दुसरे या तीसरे बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। माँ-बाप का बच्चों के साथ भावनात्मक लगाव उनके मानसिक विकास और व्यक्तित्व विकास में अहम भूमिका निभाता है।