हरियाणा सरकार का कडवा सच-अस्पताल मांगता रहा शहीद की विधवा से आधार कार्ड, ना मिलने पर हुई मौत
हरियाणा: कहते हैं भगवान के बाद दूसरा अगर कोई जान बचा सकता है तो वह केवल एक डॉक्टर है. जैसे भगवान की दुआ इंसान को ठीक करने की ताकत रखती है ठीक वैसे ही डॉक्टर की दवाई भी इंसान को ठीक करने में राहत बन जाती है. परंतु आज के इस कलयुग के दौर में डॉक्टर ही हैवान बनते जा रहे हैं. करप्शन के इस दौर में आम इंसान काफी पिस रहा है. भारत में बहुत सारे ऐसे डॉक्टर्स हैं जो पैसे के लालच में किसी की भी जान ले सकते हैं. ऐसे में डॉक्टर्स के कारण पूरा अस्पताल बदनाम हो जाता है. अभी हाल ही में हमारे सामने कुछ ऐसा ही मामला आया है. जहां हरियाणा एक निजी अस्पताल की संवेदनशीलता ने आम इंसान को दुख देने मे कोई कसर नहीं छोड़ी.
दरअसल, हरियाणा जिले के एक अस्पताल में प्रशासन की जिद के चलते भारतीय जवान के शहीद की पत्नी की मृत्यु हो गई. दरअसल, मृतका का पति कारगिल के युद्ध में अपनी जान न्योछावर कर चुका था.
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि महिला अपने इलाज के लिए अस्पताल पहुंची थी. परंतु अस्पताल वाले उससे आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी मांगते रहे. पीड़िता की हालत सीरियस होने के कारण परिजनों ने मोबाइल पर आधार कार्ड की कॉपी और आधार नंबर बताया मगर अस्पताल वालों ने बिना असली आधार कार्ड के इलाज करने से साफ इंकार कर दिया. सही समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण परिजन उसको को दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे. परंतु, तभी रास्ते में उस महिला ने तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दिया.
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि यह मामला बीते गुरुवार सोनीपत के गांव में लक्ष्मण दास का है. लक्ष्मणदास कारगिल युद्ध के लिए लड़ते लड़ते शहीद हो गए थे इसके बाद उनकी पत्नी शकुंतला काफी समय से बीमारी से जूझ रही थी. उनके इलाज के लिए उनको कई अस्पतालों में ले जाया गया. लेकिन, अस्पताल वालों ने उन्हें निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. परंतु जब परिवार वाले शकुंतला को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने बिना ओरिजिनल आधार कार्ड के इलाज करने से मना कर दिया जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई.
हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल वालों को शकुंतला के परिवार वालों ने आधार कार्ड की एक कॉपी और नंबर बताया था. परंतु, फिर भी अस्पताल इस जिद पर अड़ा रहा कि वह बिना ओरिजिनल आधार कार्ड कोई इलाज शुरू नहीं कर सकते. मृतिका के परिवार वालों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने शकुंतला की हालत पर जरा भी दया नहीं दिखाई और इलाज ना करने की जिद पर अड़े रहे. जब परिवार वालों ने विरोध किया तो उन्होंने पुलिस बुला ली और मदद की बजाय उल्टा शकुंतला के परिवार को धमकाने लग गए. इसे भी शकुंतला की हालत बद से बदतर हो गई और दूसरे अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसने अपना दम तोड़ दिया.
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार जब अस्पताल प्रशासन से इस मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हंगामे के चलते उन्होंने पुलिस बुलाई थी जिसके बाद पुलिस ने शकुंतला के परिवार को धमकियां देनी शुरू कर दी. अस्पताल ने कहा कि वह इलाज के लिए एकदम तैयार थे परंतु उसी वक्त मृतक के परिजन उसको दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए निकल पड़े. अस्पताल में सभी आरोपों को बेबुनियाद ठहराते हुए कहा कि उनको अस्पताल के कुछ नियम कानून फॉलो करने पड़ते हैं जिनके लिए उन्हें पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है. अस्पताल ने बताया कि कई बार वह गंभीर अवस्था के मरीजों को तुरंत भर्ती कर लेते हैं.