दफनाने के बाद भी नहीं सड़ रही ये बॉडी, साढ़े चार सौ साल से मौजूद है ये पूरा शरीर
देश और दुनिया में मानव शरीर को मृत्यु के बाद अलग-अलग तरीके के क्रिया कर्म करने के तरीके हैं। कहीं शवों को दफ्नाया जाता है। कहीं शवों को पानी में प्रवाहित किया जाता है। तो भारत हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक में जलाने की परंपरा है। इंसान की मृत्यु के बाद क्रिया कर्म करना इसलिए आवश्यक है, ताकि मृत व्यक्ति को मुक्ति मिल सके। लेकिन क्या आप जानते हैं, कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनको मरे हुए सैकड़ों साल हो चुके हैं, लेकिन आजतक उनका शरीर गला नहीं है। जबकि कई बार उनको दफनाया जा चुका है।
जी हां, गोवा में एक ऐसे ही संत का शव है जो तीन बार दफनाने के बाद भी न तो गला है, और न ही सड़ रहा है। गोवा के एक चर्च में 450 साल से संत की बॉडी चर्च में रखी हुई है। जो वैज्ञानिको के लिए भी रिसर्च का विषय बनी हुई है। गोवा के पणजी में बनी चर्च ‘बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस’ के अंदर सेंट फ्रांसिस जेवियर का शव साढ़े चार सौ सालों से ज्यों का त्यों रखा हुआ है। शव फ्रांसिस जेवियर का है जिसके बारे में कहा जाता है कि उनके शव में दिव्य शक्तियां विद्यमान हैं, जिसके चलते वो आज तक उसमें न तो कोई खराबी आई है, और नहीं उसमें कोई सड़न हुई है। गोवा में संत फ्रांसिस जेवियर को लोग क्रिसमस के मौके पर देश-विदेश से हजारों लोग यहां देखने आते हैं।
बताया जाता है कि सेंट फ्रांसिस जेवियर संत से पहले एक सिपाही थे। वे इग्नाटियस लोयोला के स्टूडेंट थे। बता दें कि इग्नाटियस ने ‘सोसाइटी ऑफ जीसस’ नाम की धार्मिक संस्था शुरू की थी। सेंट फ्रांसिस जेवियर को पुर्तगाल के राजा जॉन थर्ड और मौजूदा पोप ने फ्रांसिस जेवियर को भारत में इसाई धर्म के प्रचार के लिए भेजा था। उनकी मौत चीन की यात्रा के दौरान हुई थी।
इलाके के लोगों का दावा है कि जेवियर की अंतिम इच्छा गोवा में दफन होने की थी। शिष्यों ने उनका शरीर उसी हिसाब से दफना दिया। कुछ सालों बाद रोम से आए संतों के डेलिगेशन ने उनके शव को कब्र से बाहर निकालकर फ्रांसिस जेवियर चर्च में दोबारा दफनाया। कुल तीन बार उनके शव को दफनाया गया। पर संत का शरीर उसी अवस्था में था, जैसा पहले दफनाया गया था।
लोग बताते हैं कि एक महिला ने सेंट फ्रांसिस जेवियर की डेड बॉडी के पैर पर सुई चुभोई तो उसमें से खून निकला था। जबकी उनकी बॉडी को सूखे सैकड़ों साल हो गए थे।
ऐसा नहीं है कि केवल गोवा में ही संत की बॉडी रखी है। यूपी की राजधानी लखनऊ में भी तीन हजार साल पुरानी ममी संरक्षित है। लखनऊ के राज संग्रहालय में रखी ममी 1952 में लंदन से मंगाई गई थी। ममी एक 13 वर्ष की बच्ची की है। जो की भारत में सबसे पुरानी ममियों में से एक है। लेकिन भारत जैसे वातावरण में भी अब तक इस ममी का खराब न होना एक बड़े अजूबे से कम नहीं है, जहां जाड़ा गर्मी बरसात सब होता हो।