रोटी की खातिर सड़कों पर करतब दिखाती बेटियां, जो कर सकती हैं ओलम्पिक में भारत का सपना पूरा!
पेट की भूख के खातिर इंसान को क्या-क्या नहीं करना पड़ता। दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मेहनत से लेकर अपनी जिंदगी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटता। हैरानी तब होती है जब पढ़ने लिखने की उम्र में मासूम बच्चे ऐसे जोखिम उठाने को मजबूर हो जाए (Stunt shows on the streets)। ऐसे हालात तब है जब केंद्र में बाल विकास मंत्रालय है। राज्यों में बाल विकास विभाग है।
सड़क के किनारे अकसर छोटे मासूम बच्चे जिस तरह के कारनामे दिखाते मिल जाते हैं वह आपके और हमारे वश के बाहर की बात है। करतब दिखाते इन बच्चों को जब आसपास से गुजरने वाले लोग देखते हैं तो बिना पूरा खेल देखे वे यहां से निकल नहीं पाते।
पैतृक धंधे को ही रखना पड़ता हैं जारी (Stunt shows on the streets) –
अकसर देखा गया कि ऐसे सड़को पर करतब दिखाने वालों का यह पैतृक धंधा होता है। यूं तो सारा परिवार ही ऐसे अनोखे करतब कर लेता है, परंतु जब कोई छोटी उम्र की लड़की ऐसा करतब करती है तो लोग ज्यादा रुपया देते हैं। पापी पेट की आग बुझाने के लिए वे अपनी जान का रिस्क लेते हैं।
बेनकाब हो रहा बेटी पढ़ाओ का नारा –
सड़कों पर सरेआम से करतब दिखाती बेटियों को देखकर तो उस समय बेशक उसकी कला के लिए लोग तालियां बजाने को मजबूर हो जाते हों, परंतु इससे सरकार का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बेनकाब होता दिखाई देता है। क्योंकि करतब दिखाने के दौरान जहां इन बेटियों की जान तक जा सकती है, वहीं स्कूल जाने के दिनों में वह स्कूल न जाकर रोजी रोटी के लिए जूझ रही हैं।
सही दिशा की जरुरत –
वैसे तो जब भी ओलंपिक होता है यह सवाल अक्सर उठता है कि सवा सौ करोड़ कि आबादी वाला देश हर बार ओलंपिक मेंडल जितने में इतना पीछे क्यों रह जाता है। शायद हम पीछे हैं इसलिए हैं क्योंकि ओलंपिक या ऐसी किसी और प्रतियोगिता के चलने तक तो हम खुब हो हल्ला मचाते हैं। पर जैसे ही यह खत्म होती है, हम सब भूल जाते हैं। ऐसी बेटियों या बच्चों को अगर सही दिशा दी जाए तो शायद आने वाले भविष्य में हम मेंडल के मामलें में चीन या अमेरिका जैसे देशों से भी आगे निकल जाएं।