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सबूतों के आधार पर हुआ खुलासा, नर्मदा घाटी में आज से 750 लाख साल पहले था समुद्र

नई दिल्ली: प्रकृति समय-समय पर अपने आपमें कई परिवर्तन करती रहती है। जो इस पृथ्वी पर आज से लाखों साल पहले हुआ करता था, आज वो सब नहीं है। कभी इस पृथ्वी पर विशालकाय डायनासोर रहा करते थे, लेकिन आज उनका नामों-निशान तक नहीं है। वैसे ही नर्मदा नदी को लेकर हुए एक शोध में हैरान करने वाली बात सामने आयी है। शोध में नर्मदा की घाटी में 750 लाख साल पुरानी शार्कों के जीवाश्म मिले हैं। इस शोध से यह सिद्ध हो जाता है कि नर्मदा की घाटी में कभी समुद्र हुआ करता था।

खोज के दौरान 20 हजार से अधिक दाँतों के जीवाश्म और रीढ़ की हड्डियों के भाग मिले हैं। इससे यह साफ़ हुआ है कि आज से लगभग 750 लाख साल पहले समुद्री हलचल के कारण यहाँ के समुद्र में पहुँची थी। इससे यह सिद्ध हुआ है कि यहाँ समुद्र था। उस समय भारत की स्थिति पृथ्वी की विषुवत रेखा पर थी। बिना हड्डियों वाली ये मछलियाँ 4-6 मीटर लम्बी हुआ करती थीं। आपको बता दें यह जानकारी मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. जीवीआर प्रसाद ने दी। इस मौके पर डायनासोर व शार्क की खोज करने वाले धार के विशेषज्ञ विशाल ज्ञानेश्वर वर्मा, डॉ. अशोक साहनी, रणजीत सिंह लौरेंबम, प्रियदर्शिनी राजकुमारी भी मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार इन जीवाश्मों की खोज काफी समय से की जा रही थी। लेकिन जब यह साफ़ हो गया तभी इसके बारे में बताया गया। इसके ऊपर एक शोध पेपर भी लिखा गया था जो एक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। जीवाश्म के समय के बारे में पता लगने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया गया। ये जीवाश्म जिन चट्टानों से प्राप्त हुए हैं उन्हें ब्रायोजोन फॉर्मेशंस कहा जाता है। आपको जानकार काफी हैरानी होगी कि यहाँ से डायनासोर के भी जीवाश्म प्राप्त हो चुके हैं।

सबसे पहले 2007 में जीवाश्मों की खोज की गयी थी। उस समय 100 से ज्यादा संख्या में डायनासोर के अंडे पाए गए थे। मनावर और बाग़ क्षेत्र में डायनासोर के अण्डों के घोसले भी मिले थे। इसके बाद से नेशनल जीवाश्म पार्क की घोषणा हुई थी। तब से लेकर अब तक हजारो डायनासोर के जीवाश्म यहाँ से प्राप्त हो चुके हैं। बाग़ चट्टान से शार्क के जीवाश्म पाए जानें की यह पहली रिपोर्ट है। ये शार्क 750 लाख साल पहले धार जिले की नर्मदा घाटी में समुद्र की स्थिति को प्रमाणित करती हैं। यह समुद्र एक भुजा के आकार का था, जो भारत से पक्षिम के टेथिस सागर का एक भाग था।

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