जब नायडू ने करायी पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी की जाँच तो सामने आया घिनौना सच, हैरान हुए पीएम मोदी
नई दिल्ली: गुजरात दंगा आपको तो याद ही होगा। 2002 में दंगा होने के बाद देश की मीडिया मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी थी। कांग्रेस की सरकार में हिन्दू संगठनों को आतंकवादी संगठन बनाने पर जोर दिया जाता रहा और मीडिया मूक दर्शक बनी रही। आखिर यह क्यों हुआ, इसके बारे में एक हिला देने वाली जानकारी सामने आयी है। इस बात का खुलासा हो गया है कि किस तरह से जनता के पैसों से कांग्रेस सरकार ने पत्रकारों और वामपंथियों के पेट भरे थे। हैरान करने वाली बात यह है कि इन सबके पीछे कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे। उन्ही की देखरेख में राज्यसभा टीवी के जरिये लूट की गयी।
दरअसल हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी के नाम पर अपने करीबियों को खूब फायदा पहुँचाया। आज हम आपको कांग्रेस की उस बड़ी लूट की सच्चाई बताने जा रहे हैं। द वायर के संस्थापक एम. के. वेणु ने मोदी सरकार पर असहिष्णुता फैलाने के आरोप लगाये थे। कुछ लोगों का यह भी आरोप रहा है कि आवर्ड वापसी के जरिये सरकार को बदनाम करने की योजना भी इन्ही की थी। इनके कई मित्रों को भारतीय सेना का भी खुलकर विरोध करते हुए देखा जा सकता है। जब पत्थरबाज को जीप से बाँधकर खिंचा गया था तो इन्होने विरोध किया था। इन्हें और इनके जैसे कई और पत्रकारों को एक्सपर्ट्स बताकर राज्यसभा टीवी में बुलाया गया और मोटी रकम दी गयी।
इस दस्तावेज को देखने के बाद साफ़ हो जाता है कि अकेले ही एमके वेणु को हर महीने 90 हजार से लेकर 1 लाख 35 हजार तक दिए जाते थे। मोदी सरकार आने के बाद भी एमके वेणु को राज्यसभा टीवी पर बुलाया जाता रहा। जब तक हमीद अंसारी उपराष्ट्रपति पद पर रहे, ऐसा होता रहा। अगर पुरे 5 सालों के आंकड़ों को ध्यान से देखा जाये तो पता चलता है कि अकेले एमके वेणु के ऊपर 33 लाख से ज्यादा खर्च किया गया। एमके वेणु के अलवा कैच न्यूज़ के भारत भूषण, इंडियास्पेंड डॉट कॉम के गोविन्दराज इथिराज और उर्मिलेश जैसे पत्रकारों को दिए गए। साथ ही हामिद अंसारी जितनी बार भी विदेश यात्रा पर गए उनके साथ राज्यसभा टीवी की एक टीम के बजाय दो टीमें भेजी जाती थी।
हामिद अंसारी ने अपने करीबी गुरदीप सप्पल को राज्यसभा टीवी का सीईओ बना दिया। इसके बाद शुरू हुआ सगे-सम्बन्धियों को नौकरी देने का सिलसिला। तनख्वाह भी खूब दी गयी। लाखों रूपये खर्च करके चैनल पर ऐसे-ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते रहे जिनका लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं था। अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में सप्पल ने रागदेश नाम की एक फिल्म भी बना डाली। जानकारी के अनुसार राज्यसभा टीवी के बजट से इन्होने 14 करोड़ की फिल्म बना डाली। फिल्म के जरिये दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता सिंह को हिरोइन बना दिया। इस फिल्म की क्वालिटी इतनी खराब है कि देखकर लगता ही नहीं है कि इसके ऊपर इतना खर्च किया गया होगा।
ऐसा लगता है जैसे 30-40 लाख में ही सारा काम हो गया होगा। फिल्म के प्रमोशन के लिए भी 8 करोड़ रूपये खर्च किये गए थे। प्रमोशन के नाम पर भी खूब लूट की गयी। इतना सबकुछ करवाने के बाद भी उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जाते-जाते यह कह गए कि इस देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने सरकार पर निशाना भी साध दिया। जब वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति का पद संभाला तो उनका ध्यान राज्यसभा टीवी के घोटालों की तरफ गया। उन्होंने रिपोर्ट्स को देखते हुए ईमानदारी से ऑडिट करने का निर्देश दिया है। यह भी जानकारी सामने आयी है कि 2011 में राज्यसभा टीवी शुरू होने के बाद से इसके ऊपर 375 करोड़ रूपये खर्च किये जा चुके हैं। इतना बजट तो बड़े-बड़े प्राइवेट चैनलों का नहीं होता है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मीडिया में किस तरह से चाटुकारिता का काम चलता है। एक पार्टी को अच्छा बताकर दूसरी की जमकर बुराई की जाती है। कभी कांग्रेस सरकार की बुराई की जाती है तो कभी मोदी सरकार की ही बुराइयाँ दिखती हैं। हालांकि अब जाँच की शुरुआत हो चुकी है तो धीरे-धीरे सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। खैर बाद में क्या हो सकता है यह हम आपको पहले ही बता देते हैं। कांग्रेस इससे पहले ही पल्ला झाड़ लेगी। हामिद अंसारी मुस्लिम समुदाय के हैं इसलिए इस मामले को मुस्लिम समुदाय से जोड़ दिया जायेगा। कुछ पत्रकार इसे भी पीएम मोदी की गलती बताते हुए उनपर हमला शुरू कर देंगे।
कुछ लोग अपने टीवी की स्क्रीन काली कर देंगे और कुछ अपने-अपने अवार्ड की वापसी भी शुरू कर देंगे। दिग्विजय सिंह जैसे नेता इसे आरएसएस की साजिश बताते हुए हमला बोल देंगे। कांग्रेस के नेता इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताएँगे और मोदी सरकार को और मोदी को बुरा-भला कहना शुरू कर देंगे। इस सच्चाई को दबाने के लिए किसी छोटी खबर को बड़ा बनाकर दिखाया जायेगा और जनता का ध्यान भी इसी तरफ चला जायेगा। अगर मामला दलत तक गया तो वहाँ भी सिब्बल जैसे नेता और वकील बैठे हुए हैं जो बचाव करेंगे ही।