कलेक्टर ने ड्राईवर को बना दिया एक दिन का कलेक्टर, जानिए फिर क्या हुआ
जिंदगी भर किसी की सेवा में लगे रहना, एक काम को करके पूरी नौकरी काट देना कोई आसान काम नहीं है। खास कर जिसमें कोई प्रोमोशन न हो। लेकिन जरा सोचिए की वही व्यक्ति अगर रिटायरमेंट के दिन ड्राइवर से सीधे कलेक्टर बन जाए तो क्या होगा। क्या होगा जब कोई ऐसा मौका आ जाए जिसकी उसे उम्मीद भी न हो। क्या होगा जब, जिसकी नौकरी जिंदगी भर करते रहे और अंत में वहीं व्यक्ति उसका नौकर बन जाए। जी हां कुछ ऐसा हुआ है। महाराष्ट्र के अकोला जिले में, जहां के डीएम श्रीकांथ ने अपने ड्राइवर दिगंबर ठाक के लिए गाड़ी चलाई। जिसके बाद ड्राइवर दिगंबर की आंखें खुशी के आंसुओं से भर उठीं। भीगी पलकों से वो अपने साहब को रोकते रहे लेकिन वो नहीं माने, और अपने ड्राइवर को पीछे बैठाकर घर से ऑफिस तक लेकर आए। जिसके बाद कलेक्टर के इस अंदाज की हर तरफ चर्चा हो रही है। जैसी विदाई दिगंबर को मिली, ऐसी विदाई की उम्मीद किसी सरकारी ड्राइवर ने सपने में भी नहीं सोची होगी।
अपने साहब से मिले ऐसे सम्मान की ड्राइवर दिगंबर को कभी उम्मीद भी नहीं थी। कलेक्टर की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर दिगंबर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि उनके रिटायरमेंट के आखिरी दिन उनको विदाई में ऐसा सम्मान मिलेगा। कलेक्टर ने खुद दिगंबर के घर जाकर कहा आज तुम मेरी गाड़ी की स्टेयरिंग नहीं संभालोगे। आज आप मेरी शीट पर बैठिये मैं स्टेयरिंग संभालूंगा। आज तुम्हारा रिटायरमेंट है, आज मेरा मन तुम्हारे लिए ड्राइवरी करने का है।
इस दौरान डीएम ने अपनी नीली बत्ती कार को फूलों से सजवाया, जैसे किसी शादी में दुल्हे की कार को सजाया जाता है, और खुद ड्राइव करते हुए पहुंच गए। अपने फूलों से सजी और खुद कलेक्टर को आया देख दिगंबर का परिवार पहले कुछ समझ नहीं पाया। लेकिन जैसे ही उन्हे पता चला की डीएम खुद लेने आए हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। डीएम श्रीकांथ ने कहा इतने सालों में तुमने तमाम कलेक्टर को घर से दफ्तर और दफ्तर से घर पहुंचाया। कई बार रात को भी तुम हमारे साथ रहे। आज तुम्हारी सरकारी सेवा के आखिरी दिन इसलिए मैं खुद तुमको लेने आया हूं। ड्राइवर दिगंबर ने इतना सुनते ही, डीएम के सामने हाथ जोड़ लिए, और कहा साहब यह मेरी औकात नहीं। मुझे इतना सम्मान मत दीजिए। लेकिन डीएम साहब तो मन में ठान कर आए थे, ड्राइवर दिगंबर को डीएम की जिद पर झुकना पड़ा।
डीएम साहब से दिगंबर के घर से निकल कर दफ्तर पहुंचे तो, दफ्तर के बाकि अधिकारी सन्न रह गए। क्योंकि कार फूलों से सजी थी। उसे खुद डीएम साहब चला रहे थे। जबकि ड्राइवर दिगंबर पीछे के गेट से उतरा। जिसका गेट स्वयं डीएम साहब ने खोला। डीएम ने सबका अभिवादन स्वीकारने के बाद कहा कि आज दिगंबर जी कि सरकारी सेवा का आखिरी दिन है। तो मैने सोचा क्यों ने आज मैं इन्हें कुछ सरप्राइज दूं।
डीएम श्रीकांत ने कहा कि दिगंबर ने हमेशा हम सभी अफसरों को सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाया है। खुद के बाद ड्राइवर पर ही अधिकारियों को भरोसा होता है। ऐसे में उन्हें यादगार तोहफा पाने का हक था। कलेक्टर श्रीकांथ की ओर से इतना बड़ा मान-सम्मान मिलने पर ड्राइवर दिगंबर ठाक ने कहा कि उन्होंने 35 साल की नौकरी की में कुल 18 जिला कलेक्टर की गाड़ी चलाई। सभी अच्छे थे, लेकिन जो मान सम्मान श्रीकांथ सर ने दिया उसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था।