जब पाकिस्तान में मुस्लमान बने अजीत डोभाल को एक दाढ़ी वाले ने पहचान लिया, जानिए फिर क्या हुआ
भारत के एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल के यूं तो कई किस्से लोग जानते हैं। देश का ये सुपर कॉप पीएम मोदी के सबसे करीबी और विश्वसनीय लोगों में से एक है। किसी भी विपत्ति के मौके पर मोदी इनसे सीधे सलाह लेते हैं। सभी जानते हैं कि अजीत डोभाल आईपीएस होने के साथ एक उच्च स्तर के जासूज थे। जिन्होने पाकिस्तान में रहकर सालों तक जासूसी की। और वहां से जरूरी जानकारी उपलब्ध कराते रहे। इस दौरान वो पाकिस्तान में किसी को शक न हो। मुस्लमानों की तरह रहते थे। उर्दू में बातें करते थे, साथ ही मस्जिद में जाकर भीड़ के साथ नमाज भी पढ़ते थे। ताकि किसी को उनके मुस्लमान होने पर शक न हो। आलम ये था की जुमा के अलावा भी रोज दिन में जाकर एक वक्त की नमाज तो अदा ही करते थे।
पाकिस्तान में रहकर उन्होंने बहुत सारी खूफिया जानकारी इकट्ठा की। अपने पाकिस्तान के कार्यकाल के दौरान कई बार उन्होने कई खुलासे किए। जो बेहद रोमांचक है। एक बार सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति ने अजित डोवाल से ऐसा सवाल पूछ लिया की। अजीत डोभाल को उत्तर देना पड़ा। लेकिन जो उत्तर अजीत डोभाल ने उसे दिया उसको सुनकर वहां मौजूद लोगों ने पांच मिनट तक तालियां बजाईं. दर असल व्यक्ति ने पूछ लिया की आप इतने साल पाकिस्तान में रहे क्या कभी आपके सामने कोई धर्मसंकट की घडी आयी, या आप कभी पकडे गए हो। साथ ही पूछा कि क्या कभी ऐसा लगा जिससे आपका भेद खुल गया हो, या ऐसी कोई मुसीबत की घड़ी आने वाली हो।
सवाल का जवाब देते हुए अजित डोवाल ने बताया की लाहौर में जब वो एक मस्जिद में नमाज पढने गए थे। वहां उसे एक व्यक्ति ने पहचान लिया। सफ़ेद दाढ़ी वाला एक बुजुर्ग शख्स ने उन्हें अपने पास बुलाया और सख्ती से कहा, तुम हिन्दू हो यहां नमाज पढ़ने क्यों गए थे। अजीत डोभाल इतना सुनते ही चौंक गए। खुद को संभालते हुए उस बुजुर्ग ने उनसे कहा आओ बताता हूं, कैसे तुम हिन्दू हो। बुजुर्ग मस्जिद से कुछ दूर बने एक कमरे में लेकर गया। फिर बोला- तुम्हारे कान छिदे हुए है, प्लास्टिक सर्जरी करवा लो ऐसे घूमना ठीक नहीं है। किसी दिन पकड़े जाओगे।
फिर उस शख्स ने अजित डोवाल को बताया की मैंने तुम्हे पहचान लिया क्यूंकि मैं भी हिन्दू हूँ. तब उस बुजुर्ग ने कहा- मैं भी कभी हिंदू ही था, लेकिन पाकिस्तान के मुस्लिमों ने मेरे पूरे परिवार को मार डाला। उस शख्स ने अजित डोवाल को भगवान् शिव और दुर्गा की छोटी मूर्ति भी दिखाई और कहा की मैं इनकी पूजा करता हूँ। यह देख अजीत डोभाल ने कहा- हां मैं हिंदू हूं, लेकिन आप कौन हैं? तक बुजुर्ग ने कहा की परिवार को मारे जाने के बाद उन्हें न्याय तो मिला नहीं, इसलिए मैं मजार पर बैठने लगा। अब लोग मुझे फकीर के तौर पर जानते हैं।
उनका ये किस्सा बहुत प्रचलित है। दुनियाभर में डोभाल के इस कौशल की तारीफ होती है। वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले भारत का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कीर्ति चक्र दिया गया है।