मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 13 लोगों के ऊपर दर्ज यह मुकदमा होगा अब वापस
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में कुछ बताने की जरुरत नहीं है। यह मुख्यमंत्री होने के साथ ही गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं। मंदिर के महंत के रूप में यह पिछले कई सालों से हैं। योगी गोरखपुर से कई बार सांसद भी रह चुके हैं। इन्हें अपने उग्र तेवर के लिए जाना जाता है। यह हिंदुत्व की रक्षा के लिए समय-समय पर कदम भी उठाते रहे हैं। योगी आदित्यनाथ को उनके न्याय के लिए भी जाना जाता है। वह न्याय करने के लिए धर्म को बीच में नहीं आने देते हैं।
महंत होते हुए ही वह कई मामलों को बैठकर निपटाते थे। आज उनके हाथ में पुरे उत्तरप्रदेश की कमान है। शासन सँभालने के साथ ही उन्होंने उत्तरप्रदेश में कई बदलाव किये। महिलाओं की सुरक्षा को उन्होंने सर्वप्रथम वरीयता दी और सत्ता में आते ही एंटी रोमियो दल की स्थापना की। हालांकि इसका कोई ख़ास असर नहीं देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही इन्होने प्रदेश के माफियाओं के ऊपर हमला बोल दिया। अब तक कई माफियाओं को पुलिस ने गिरफ्त में लिया है।
आपको बता दें सीएम योगी पहले से ही राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। इस वजह से इनके ऊपर कई केस भी दर्ज हैं। उन्ही में से दर्ज एक केस को शासन ने वापस लेने का फैसला किया है। दरअसल सीएम योगी और केन्द्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल और विधायक शीतल पांडे समेत 13 लोगों के खिलाफ 1995 में पीपीगंज थाने में एक मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसे शासन ने वापस लेने का फैसला लिया है। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार बिना देर किये इसकी औपचारिकता पूरी करने के निर्देश दे दिए हैं।
उस समय योगी आदित्यनाथ पीपीगंज क्षेत्र में धारणा करने गए हुए थे। क्षेत्र में धारा 144 लागू की गयी थी। इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थकों ने वहाँ धारणा दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने उनके ऊपर धारा 144 का उलंघन करने के जुर्म में डगर 188 में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में योगी के अलावा राकेश सिंह, नरेंद्र सिंह, समीर सिंह, शिव प्रताप शुक्ल विश्वकर्मा द्विवेदी, शीतल पांडेय, विभ्राट चंद कौशिक, उपेंद्र शुक्ल, शंभूशरण सिंह, भानुप्रताप सिंह, रमापति राम त्रिपाठी आदि लोग शामिल थे।