पितृ दोष क्या है? और इसके होने के क्या होते हैं नुकसान?
नई दिल्ली: हमारे जीवन में कई समस्याएं मूलभूत आध्यात्मिक कारणों से होती हैं। उन कारणों में से एक है, मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को होने वाला कष्ट, जिसे पितृदोष कहते हैं। लोगों को किसी न किसी प्रकार से प्रभावित करने वाले अनेक आध्यात्मिक कारणों में यह एक सामान्य कारण है। पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष है।
पितृदोष का क्या होता है प्रभाव –
ज्योतिष में पितृदोष का विशेष महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है।
दैनिक जीवन में पितृदोष के कई लक्षण दिखाई देते हैं। ज्योतिष के अनुसार विवाह न हो पाना, वैवाहिक जीवन में अशांति, घर में कलेष आदि पितृदोष से होते हैं। हालांकि इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
पितृदोष का प्रभाव कम करने के उपाय –
आमतौर पर पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए कई खर्चीले उपाय बताए जाते हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे कई आसान, सस्ते व सरल उपाय बता रहे हैं जिनसे पितृदोष प्रभाव कम हो सकता है।
- कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाना चाहिए और रोजाना उनकी पूजा करनी चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं।
- इसी दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
- पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
- शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
- सोमवार सुबह स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
- प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
- कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
- ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
- पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भावगवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।